नारी के महिमा
रचना:- पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
"छत्तीसगढ़िया राजा"
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 7828657057
दाई बनके तैं जनम देहेस
हष्ट-पुष्ट बलवान करेश
सबले पहिली तोर अभिनंदन
बिहना-मंझनिहा-संझा करंव
शत-शत तोला मैं प्रणाम करंव।
बहिनी बनके साथ-संग रहे
रिश्ता तैंहा निभाये
मर्यादा ल बचा के रखे
तोर पांव म माथ नवांव
शत-शत तोला मैं प्रणाम करंव।
पत्नी बन पतिव्रता संग मोर साथ निभायेस
मोला अपन मांग में सिंदूर कस सजायेस
तोर-करनी धरनी का मैं तो
कइसे गुणगान करंव
शत-शत तोला मैं प्रणाम करंव।
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