पतेच नई चलिस...
लेख:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली छत्तीसगढ़ 7828657057/8120032834
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ज़िनगी के आपाधापी म,
कब निकलिस उमर हमार,संगी हो
पतेच नई चलिस।
खांध म चढ़हइया लइका मश,
कब खांध तक आ गिस,
पतेच नई चलिस।
किराया के घर ले
शुरू होए रहिसे ए सफर हमर
कब अपन घर तक आ गिस,
पतेच नई चलिस।
सइकिल के
पइडिल मारत रहेन,
हंफरथ रहे ओ दिन,
कब ले इमन,
कार में घूमे लगिस,
पतेच नई चलिस।
कभू रहेन जिम्मेदारी
हमन माँ बाप के,
कब हमर जिम्मेदारी
हमर लइका होगिस,
पतेच नई चलिस।
एक टइम रिहिस जब
दिन में घलो सुतिंत्र सो जात रहेन
कब रात के नींद उड़ा गिस,
पतेच नई चलिस।
जेन करिया घन
चूंदी म इतरात रहेन कभू हम,
कब सफेद होये ल शुरू कर दिस,
पतेच नई चलिस।
दर दर भटकत रहेन,
नौकरी के खातिर,
कब रिटायर होये के समय आ गिस
पतेच नई चलिस।
लइका मन बर
कमाय, बचाये में
इतका मशगूल होयेन हम,
कब लइका हमर ले दूर होगिस,
पतेच नई चलिस।
भरे पूरे परिवार के सेती
सीना चौड़ा रखत रहेन,
अपन भाई बहिनीं उपर घमंड रहिसे,
उन सब के साथ छूट गिस,
कब परिवार हमी दू झी म सिमट गिस।
पतेच नई चलिस...!!
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