मोक्ष नहीं कोई पाया (भजन )
रचना :- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
धार्मिक प्रवक्ता- मुंगेली-छत्तीसगढ़
7828657057-8120032834
नाथ तेरी माया जाल बिछाया
जामें सबजग फिरत भुलाया।।नाथ..
कर निवास नौमास गर्भ में फिर भूतलमें आया
खान पान विषया रसभोगन
मात पिता सिखलाया।।१।।नाथ...
घर में सुंदर नारी मनोहर देख देख ललचाया
सुन सुन मीठी बात सुतनकी
मोहपाश में फंसाया।। २।।नाथ...
गृहकाजनमेंनिशदिनफिरते सकलोजन्मबिताया
आशा प्रबल भई मन भीतर
निर्बल हो गई काया।। ३।।नाथ...
पापपुण्यसंचयकर पुनपुन स्वर्ग नरक भटकाया
शिवानंद कृपा बिन तुमरी
मोक्ष नहीं कोई पाया।।४।।नाथ...
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