आगी के आघु कभू मोम ल लाके देखंव
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
"छत्तीसगढ़िया राजा"
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 7828657057
आगी के आघु कभू मोम ल लाके देखंव
हे इजाजत त तोलाइ हाथ लगाके देखंव
दिल के मन्दिर बड़ सुन्ना नजर आत हे
सोचत हंव तोरे तस्वीर लगाके देखंव
हवा गर्रा ले आंखी मिलावव, नदिया के पुरा म वार करव
मल्हा मन के चक्कर छोड़व
तौंड़ के नदिया पार करव
फूल के तुमन दुकान खोलव खुशबू के बेपार करव
इश्क खता हे कहिंथे त ये खता एक बार नहीं सौ बार करव।।
No comments:
Post a Comment