Monday, July 2, 2018

दोस्ती

हे का एक दोस्त आज मैं आपला समझावत हंव
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
"छत्तीसगढ़िया राजा"
मुंगेली-छत्तीसगढ़-7828657057

हे का एक दोस्त आज मैं आपला समझावत हंव

दोस्ती के वास्तविक अर्थ ले मैं, आपला परिचित करावत हंव,

पड़े रहे भारी भीड़ या कोनो विकट आपत्ति,

साथ न रहे जब जीनगी में, कोनो भी संगी; साथी

अइसन बेरा में दोस्त आगू बढ़के आथे,

भरे विपदा ले , अपन दोस्त ल आजाद  कराथे,

कोनो जाति, धर्म या वंश ले एखर पहिचान नी होथे,

ओ दोस्त के सच्चा दोस्ती ह एक मिशाल होथे।

हर खून के रिश्ता ले ऊपर होथे जेखर किश्शा,

गंगा जल जैसन पवित्र होथे सच्चा दोस्त के रिश्ता,

बोहाथे हरदम जेकर आगर कस निर्मल पवित्र धारा,

होथे तो वो दोस्त जग में सबले अबड़ निराला,

पांव-पांव म दोस्ती निभाय बर  मचलथे दिल जेकर,

होथे वो दोस्त वास्तव में मन का सच्चा ओहर,

इसन दोस्त मिलना जग में एक मुकाम पाये केे समान हे,

थाम ले अइसन दोस्त के हाथ अगर वो आपके साथ हे।।
✒✒✒✒✒✒✒

दोस्ती के नाम चार लाइन👇🏻👇🏻
दोस्त तो हजारों होते हैं पर दोस्ती चुनिंदा होती है
जमाना इस कदर खराब हुई है सच्चे दोस्त की भी निंदा होती है
मैं जमाने से एक अनुरोध करूं,
दोस्ती के नाम सरफरोश करूं।
दुनिया चाहे कुछ भी कहें,
मैं तो नित नित पवित्र दोस्ती रोज करूं।।

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