काहे शोच करे नर मन में
कर्म लिखा सोई होवत प्यारे।।टेक।।
होनहारे मिटे नहीं कबहूं
कोटि जतन कर कर सब हारे।।१।।
हरिश्चंद्र नल राम युधिष्ठिर
राज्य छोड़ बनवास सिधारे ।।२।।
अपनी करणी निश्चय भरणी
दुश्मन मित्र न कोई तुमारे ।।३।।
खेमेस्वर सुमरे जगदीश्वर
सब दु:ख संकट दूर निवारे।।४।।
✒पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✒
धार्मिक प्रवक्ता/युवा साहित्यकार
मुंगेली छत्तीसगढ़ 7828657057
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