"नाम तेरा सुखदाई" (भजन )
रचना:-✒पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✒
धार्मिक प्रवक्ता-मुंगेली:-छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-७८२८६५७०५७
प्रभुजी मेरा तुमबिन कौन सहाई।।टेक।।
मातपिता बांधव सुत नारी,
जग में सब स्वारथकी यारी।
नहि परलोक होय हित-कारी,
सबसे होय जुदाई।।१।।
माल खजाना महल चुबारे
कोई न जावे हो संगहमारे।
चल चल जानें भोगन हारे
जगमें थिर न रहाई।।२।।
लाड लडाकर पालन कीना,
अतर फूलेल सदा मलदीना।
वसतर भूषण नित्य नवीना
देह पड़ी रह जाई।।३।।
तु तो सबका है पालनहारा,
तेरी महिमा बड़ी है अपारा।
खेमेस्वर को दया दें प्यारा,
नाम तेरा सुखदाई।।४।।
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