धरती के अंगना मा सुरूज के जोति पहिली आथे जोरदार,
बिहना बिहना तरिया,के पानी,चमके जइसे हीरा के हे हार।
किसान जागे रहिथे फेर ओला देख के लजाथे सुरूजदेव,
नहा धो सबलेे, पहिली पूजा होथे राजिम,अऊ भोरमदेव।
जूर-मिल खेती-बाड़ी जाथें,कमल कस कोमल इँहा पीरित,
सातोंस्वर चित्रकोट मा उठे, छिड़गे खैरागढ़ मा मधुर संगीत।
जून्ना झगरा भूलाके,नवा बूता संगे करे,जइसे बिहना के शीत,
एक दूसर ला बंटाथें हाथ, अइसे तो होथे इँहा मया पीरित।।
शबरी आश्रम इँहा प्रसिद्ध,राम बोइर खाये जूठा मिठास,
श्रृंगि के,कमंडल अइसन,महानदी के रचे गजब इतिहास।
मैकाल फईले हे, गंगरेल हे अथाह, मने रतनपुर में उछाह,
देथे अभी ले मयूरध्वज के नगरी, जऊंहर भक्ति के राह।।
धरम के नाम मा होवत बलि ,कंतेली में होगे अब तो बंद,
देथे शांति के संदेशा, एकता के रंग, बस्तर मेला के आनंद।
आगर के निर्मल ये बहाव भइया,बावा बुड़ान में गे बड़ झूम,
राजा बनके भिखारी,प्रजा के,सुख दुख देखे तो घर-घर घूम।
कोरबा के कोईला,आमा-बोइर के खोईला,खाथें पूरा देश,
चिल्फी के घाटी, मैनपाट के दर्शन,कोनो रहे झैन अशेष।
नंदन,कानन पेंडारी,अब जंगल सफारी,अऊ अचानकमार,
हसदेव,सोंढूर के धार,ऊपर ले हांफ,कोनो संगम रहे न उधार।
छत्तीस राजा के छत्तीस ठन किला,सबो के बड़े बड़े मंदिर,
आदिवासी संस्कृति, दुनिया भर के जून्ना, सभ्यता के अमीर।
मल्हार सभ्यता, पचराही सभ्यता,सुंदर रतन के गज किला,
बोबरा,अईरसा,ठेठरी-खुरमी,चौंसेला,मिठाथे अड़बड़ चिला।
पांडव निर्मित श्वेतगंगा राममंदिर, बड़ जून्ना हावे दुनिया में,
दूधाधारी के मंदिर,बड़ शांति देथे,चाहे रहे घाम मँझनिहा में।
मल्हार मे सुघर बिहान, अकबर करे जिंहा ले बड़ उजार,
रतन मिले इँहा के सोनाखान, स्टील ले चमके जग संसार।
छत्तीसगढ़ में आके दीदी-भइया, घुटे अंग्रेज घलो के दम,
हमर जन्मभूमि अइसन ये,कुछु नि हन कखरो ले तो कम।
जातिपात नइये भइया, तिहार बंटे सबो में सुघर मीठा खीर,
अपन के पीरा समझइयाँ इँहा हे,अऊ नारायण असन वीर।
अरपा पैरी, शिवनाथ कस नदिया,जंगल झाड़ी नइ कटान,
कोन गुजराती कोन बिहारी, सबो रहे,जईसे हितवा मितान।
धान के कटोरा,पऊरसे सबला,कोनो भूँखे रहे अब तो झन,
बोली में गुरतुर, वचन के पक्का, एकदम सिधवा तो हमन।
ओही छाता पहाड़, इँहें के भइया जिहाँ बाबा बाँटें गियान,
बने बने हे जम्मो तिहार,अइसे लागे, एके महतारी के संतान।
हमर बड़ गौरव हे भइया ,माई,रतनपुर अऊ दाई,डोंगरगढ़।
सबले बढ़िया कहाथे, दुनिया में ,हमर सुघर दाई छत्तीसगढ़।।
जय जोहार जय छत्तीसगढ़
✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
"छत्तीसगढ़िया राजा"
मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834
7828657057
khemeshwarpurigoswami@gmail.com
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