Wednesday, September 19, 2018

गांव के गुन ला गाबोन

गांव के माटी के रद्दा,बईला गाड़ी मा जाबोन,
बीच में आगर नदिया हे,डोंगहार ला बलाबोन।

छुट्टी पांच दिन के मिलिस, मन उमंग ले भरे,
दशहरा के बाद ही अब हमन स्कूल जाबोन।

खेत अऊ ब्यारा घलो,हुड़दंग  हम  मचाबोन,
लईकुसहा दिन सुघर, कभू भूल नहीं पाबोन।

बड़ मजा आथे अभो, बचपन ला याद करके,
रोथंव चलो फेर,आंसू कहे आंखी नहीं आबोन।

नदी तिर बसे डिंडोरी ,नाव के सुघर मोर गांव,
कल-कल  बोहात नदी मा, खूब हम  नहाबोन।

गांव के  बगीचा में , छीता-बीही के पेड़ सजोर
ऐसो की छुट्टी मा गुरतुर, मीठा फर तो खाबोन।

रेहचुल मा झूलबो, खेलबो गिल्ली-डंडा, भंवरा,
छू-छूवऊल,सगली भतली,ठट्ठा बिहाव रचाबोन।

पिट्ठूल ,अऊ मार पूक, ओ पार वाले संग खेल,
पंचवा अऊ,बांटी-बदा बना रेंधी घलो मताबोन।

शहर के माहोल कभू रास नहीं आईस "खेमेश्वर"
हम सदा तो अपन सुघ्घर गांव के गुन ला गाबोन। 

              ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                         मुंगेली - छत्तीसगढ़
                          ७८२८६५७०५७
                          ८१२००३२८३४

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