ज्ञान ले बड़े कोनो नि होवे संगी बड़े हथियार।
स्कूल ले बड़े कोनो नि होवे मंदिर न दरबार।।
भले शुरुआत होथे उंहा जेला कहिथें परिवार।
फेर ओखर बाद ज्ञानमंदिर होथे हमर संसार।।
सीखाथें बहुत कुछ हमनला ज्ञान इही संसार।
कुछ गुरुजी मन ले,कुछ सीखन तो संगी यार।।
कइसे बड़े हो जाथन, नि समझेंव पाये न पार।
परभरमी बर हमन फेर कईसे हो जाथन तैयार।।
कतका अच्छा रहिसे ओ दिन जब हमन लईका रहेन।
काबर के ओ दिन हमन सबो बुता बर सईका रहेन।।
हाई स्कूल के पढ़ाई ले तो हमर दुनिया बदल ही जाथे।
मानो कि पढ़ई-लिखई के अब बेरा घलो ह बदल जाथे।।
अब तो ज्ञान नहीं नंबर लाए के तरीका ला बताए जाथे।
नकल करत बड़े बड़े घर के,मन ह कमरा में पाए जाथे।।
का बतांव संगी अब शिक्षा के कोनो मोल नि रईहगे।
गुरुजी मन के बोली जईसे अब अनमोल नि रईहगे।।
भागत हे दुनिया अब ज्ञान छोड़ नंबर के पाछू पाछू।
पच्चासी नंबर आगे कहूं, तहन भूलागे गुरुजी पाछू।।
फेर घलो कहिथे खेमेश्वर नंबर के नि हावे कोनो मोल।
ज्ञान के आगू नंबर के न औकात, नि हावे कोनो तौल।।
आज खेमेश्वर काहत हे, गुरु के अब्बड़ सम्मान करव।
नंबर नहीं संगवारी ईंखर ले ज्ञान के तो आहवान करव।।
स्कूल बाद कालेज में घलो, गुरू के रोज प्रणाम करव।
शिक्षा के हरे ए बड़े मंदिर,एला अब झन बदनाम करव।।
शिक्षक के कोनो एकेच दिन,न होये अइसन काम करव।
हर शिक्षक ल लईका पर, गरब होये अइसन नाम करव।।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
मुंगेली छत्तीसगढ़
7828657057
8120032834
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