बाते तो बहुत हैं दिल में यूं कहने को,
कोई जगह और नहीं है अब रहने को
दूर जाओ न श्याम छोड़ के तन्हां हमें,
खड़ी दोपहरी की अंधियारा सहने को।
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
मुुंगेली छत्तीसगढ़
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