Thursday, January 24, 2019

#०००१

१:-वो छत पर चढे पतंग उड़ाने के बहाने
     बाजु वाली भी आई
                   कपड़े सुखाने के बहाने
बीवी ने देखा ये हसीन नजारा
         वो डंडा ले आई
                     बन्दर भगाने के बहाने ।

२:-हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए;
              गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए; मंजील हमारी,हमारे करीब से गुजर गयी;
          हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए..!

३:-नींद सोती रहती है हमारे बिस्तर पे,
            और हम टहलते रहते हैं तेरी यादों में!!
तुम्हारी दिल्लगी देखो, हमारे दिल पर भारी है,
   तुम तो चल दिए हंसकर,यहाँ बरसात जारी है!

४:-तमुझे चाहो अगर तो लिख दो इश्क़ मेरी तक़दीर में
​तुमसे खूबसूरत स्याही तो जन्नत में भी नहीं होगी !!
इतना "आसान" नहीं है "शायरी" "लिखना"
सब कुछ "लिखना" है.वो भी "सबकुछ" "छुपाकर".

५:-_ख़्वाबों की उम्र बहुत छोटी_होती है..._

_आँखे खुल जाए तो_मंज़र कुछ और ही होता है...!_

६:-मिले न फूल तो काटों से जख्म खाना हैं,
                 उसी गली मे मुझे बार बार जाना है,
मैं अपने खून का इल्जाम दू तो किसको दू,,
             लिहाज ये है कि कातिल से दोस्ताना हैं

७:- ना मेरा दिल बुरा था
                        ना उसमें कोई बुराई थी ,
     सब नसीब का खेल है
                      बस किस्मत में जुदाई थी।

८:-अपने क़दमों के निशान मेरे रास्ते से हटा दो,
कहीं ये ना हो कि मैं चलते चलते तेरे पास आ जाऊं।
सुलगती रेत पर पानी की अब तलाश नहीं.,
मगर ये कब कहा हमने कि हमें प्यास नहीं " !!

९:- कभी तुम मुझे करीब से आ के देखना,,
           ऐसे नहीं जरा और पास आ के देखना।।
मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ
               मुझे कभी सीने से लगा कर देखना।।
मैं तुम्हे अश्कों की कतार में नजर आऊँगा
           मेरी याद में कभी आँसू बहा के देखना।।
मेरी ग़ज़ल पढ़ कर भी तुम पर असर ना हो,,
       तो लोगों को मेरी  ग़ज़ल सुना कर देखना।।

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