Saturday, August 24, 2019

25 अगस्त/जन्म-दिवस हिन्दुत्व के व्याख्याकार तनसुखराम गुप्त

25 अगस्त/जन्म-दिवस

हिन्दुत्व के व्याख्याकार तनसुखराम गुप्त

हिन्दू और हिन्दुत्व के जागरण को पूर्णतः समर्पित प्रखर लेखक, पत्रकार व प्रकाशक श्री तनसुखराम गुप्त का जन्म 25 अगस्त, 1928 को हरियाणा में सोनीपत जिले के निवासी श्री ताराचंद एवं श्रीमती किशनदेई के घर में हुआ था, उनका बचपन पुरानी दिल्ली के कूचा नटवा की गलियों में बीता।

तनसुखराम जी 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आये, शाखा जाने से उनके मन में देशभक्ति के संस्कार और प्रबल हो गये। 1942 में *भारत छोड़ो आंदोलन* में भाग लेने के कारण उन्हें विद्यालय से निकाल दिया गया; पर एक सहृदय अध्यापक के कहने से फिर प्रवेश मिल गया।

1943 में पिताजी के देहांत से परिवार के पालन का भार उनके सिर पर आ गया, अतः उन्होंने प्रथम श्रेणी में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण कर नियमित पढ़ाई को विराम दे दिया और दिल्ली नगरपालिका में लिपिक बन गये, 1946 में विवाह के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी और स्कूल सामग्री तथा अन्य दैनिक उपयोगी वस्तुओं की दुकान खोल ली। कुछ समय बाद उन्होंने अपना पूरा ध्यान पुस्तक बिक्री और फिर पुस्तक प्रकाशन पर ही केन्द्रित कर लिया।

पुस्तक और प्रकाशन व्यवसाय में लगे व्यक्ति में साहित्य सृजन के प्रति प्रायः अनुराग होता ही है, अतः तनसुखराम जी ने कहानी लेखन के माध्यम से इस क्षेत्र में प्रवेश किया। 1946 में उनका पहला कहानी संग्रह *तीन कहानियां* प्रकाशित हुआ, उनकी कहानियां मुख्यतः देश धर्म और समाज के प्रति त्याग व समर्पण की प्रेरणा देती थीं, इसके बाद मेरा रंग दे बसंती चोला, नैतिक कथाएं तथा कई अन्य कहानी संग्रह भी प्रकाशित और लोकप्रिय हुए।

तनसुखराम जी को पारिवारिक कारणों से नियमित पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी; पर उनकी पढ़ने की इच्छा बनी हुई थी, अतः निजी रूप से अध्ययन करते हुए उन्होंने संस्कृत की *विशारद* और *प्रभाकर* परीक्षाएं उत्तीर्ण कर लीं। अध्ययन और चिंतन-मनन का दायरा बढ़ने के कारण अब वे कहानी के साथ निबन्ध भी लिखने लगे और 361 निबन्धों की पुस्तक *निबन्ध सौरभ* प्रकाशित की।

जीवन की यात्रा में पग-पग पर ऐसे लोग मिलते हैं, जो किसी न किसी कारण से मन-मस्तिष्क पर अमिट छाप छोड़ देते हैं, तनसुखराम जी ने ऐसे लोगों के साथ अपने संस्मरणों को तीन पुस्तकों में संकलित किया है। ये हैं- जीवन के कुछ क्षणों में, विस्तृति के भय से तथा संघर्ष के पथ पर, इसके साथ ही दीनदयाल उपाध्याय: महाप्रस्थान, लाल बहादुर शास्त्री: महाप्रयाण तथा रग-रग हिन्दू मेरा परिचय उनकी अन्य प्रसिद्ध पुस्तकें हैं।

तनसुखराम जी ने *श्रीरामचरितमानस* का अध्ययन कर मानस मंथन, वैदेही विवाह तथा श्रीरामचरितमानस भाष्य नामक पुस्तकें लिखीं, इनमें मानस के धार्मिक व आध्यात्मिक पक्ष के साथ ही सामाजिक पक्ष के दर्शन भी होते हैं। उनकी एक अन्य उल्लेखनीय पुस्तक *हिन्दू धर्म परिचय* है, जिसमें हिन्दू मान्यताओं और परम्पराओं की सरल और आधुनिक व्याख्या की गयी है।

तनसुखराम जी हिन्दी काव्य एवं साहित्य के क्षेत्र में वरिष्ठ कवि सूर्यकांत त्रिपाठी *निराला* से बहुत प्रभावित थे, अतः उन्होंने अपने प्रकाशन का नाम *सूर्य प्रकाशन* रखा, यहां से तीन खंडों में प्रकाशित *व्यावहारिक हिन्दी व्याकरण कोश* हिन्दी के अध्येताओं के लिए एक अति उपयोगी ग्रन्थ है।

प्रतिष्ठित प्रकाशन प्रायः नये लेखकों की पुस्तकें नहीं छापते; लेकिन तनसुखराम जी ने दर्जनों नये और युवा लेखकों की पुस्तकें छापकर उन्हें प्रतिष्ठा दिलाई, अपनी लेखनी और प्रकाशन द्वारा हिन्दुत्व की महान सेवा करने वाले श्री तनसुखराम गुप्त का 26 जनवरी, 2004 को दिल्ली में देहांत हुआ।

(संदर्भ : पांचजन्य 15.2.2004)
---------------------------------------
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

प्रस्तुति:-
             *"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"*
              धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
            मुंगेली छत्तीसगढ़ ८१२००३२८३४

No comments:

Post a Comment

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...