सुन बुधारू सुन समारू
कालि आइस मोर सारा,
लइकन कहे ममा घर जाबो
शोर तो होगे हे पूरा पारा.!
जानथे तुँहर भऊजी हर
नि आय राँधे गढ़े मोला,
तभो नि जानव रे संगी
मईके के नशा चढ़े ओला.!
ए हर तो जहिच बड़े नोनी
घलो जाहूं किके रिसाये हे,
आज तो हितवा घर लिपे
गोबर तक नई सँईंथाये हे.!
चाँऊर घलो निमराये नि हे
परे हावे ओमा जी पटारा,
उन चढ़े फटफटी चल दिन
छोड़ बुता सब मोर बँटवारा.!
बर्तन भँड़वाँ मांजे नि हे
कर देहे पूरा सबो कजरी,
सफरी कस देख बिहायेंव
फेर करम निकलिस बजरी.!
साग राँधे जानो निहिं जी
पिसान सानेंव होगे लाटा,
हलवा बनाहूं, लानेंव शक्कर
पूरा भरगे जी करिया चाँटा.!
पानी लाने दूरिहा जाथों
बस्ती में कंवरिया कहाथों,
घर में रथे तभोच संगी
में ओकर नँचनिहा कहाथों.!
भात ल पँसात रहेंव तभेच
फोन हर ओकर आइच हे,
कां राधेस जोड़ी में हर तो
करू खावथों कह बताइच हे.!
बिहना ले फरहार के बाद
वाट्सएप मा मेसेज करहि,
खुरमी-ठेठरी किसिम पकवान
देखके जि जरेच कस बरहि.!
तोर घर के बुता निपट गे बुधारू
भाई महूं ला ऊपाय बताबे जी,
मंगलू गौंटिया बुता तियारे हे
गजानन के मंडप तें सजाबे जी.!
पऊर बछर गे रिहिस ते फागू
बिसर्जन तक दरस नंदागे गो,
पूरा बूता मोर मुड़ के बोझा होगे
प्रभु कईसन संग में फँदांगे गो.!
आते साट खिसियाही नँगत
लिपे पोते ला कइसे भुलागे,
नवरात चलत हे जानस निहि
दशहरा घलो हर लकठागे.!
अब जाके पता चलिस हे
बाई जी हर घर मोर आगे हे,
तीजा हर एक महीना होके
एखर दरस के भाग जागे हे.!
का दूख बताँव समारू
पर गे रेहेंव जी अकेला..
कोन बनाईस बता बुधारू
अईसन तीजा के झमेला....
अईसन तीजा के झमेला...!!!
©पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी®
ओज-व्यंग्य कवि-लेखक
धार्मिक प्रवक्ता-मानस वक्ता
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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