Tuesday, September 10, 2019

एक मुक्तक

☆~-~-~-~-•-💓-•-~-~-~-~☆
कौन कहेगा उसे, के नाचीज़ है वो
टूटे हुए मेरे दिल का ताबीज़ है वो
है सैलाब-ए-जवानी या दरिया की तरह
वो खुद ही ना जाने, क्या चीज़ है वो  !!
☆~-~-~-~-•-💓-•-~-~-~-~☆

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