जन्मदिवस : *राजा लक्ष्मण सिंह*
भारत देश का साहित्य उसका गौरव है, उसकी शान है और हमारे देश में अनेक लेखक एवं उपन्यासकारों ने जन्म लिया है उनमें से एक लेखक थे *राजा लक्ष्मण सिंह ..*..
राजा लक्ष्मण सिंह का जन्म *9 अक्टूबर 1826* में आगरा के वजीपुर नामक स्थान पर हुआ था, 13 वर्ष तक उन्होंने घर पर ही शिक्षा ग्रहण की जहाँ उन्होंने उर्दू व संस्कृत की शिक्षा ली फिर अंग्रेजी की शिक्षा के लिए आगरा कॉलेज में दाखिला लिया कॉलेज की शिक्षा के बाद वे पश्चिमोत्तर प्रदेश के लेफ्टिनेंट गवर्नर के कार्यालय में अनुवादक के तौर पर नियुक्त हुए, 1855 में वे आगरा के तहसीलदार के पद पर नियुक्त हुए 1857 के विद्रोह के दौरान उन्होंने अंग्रेजों की काफी सहायता की और उन्हें पुरस्कार स्वरूप डिप्टी कलेक्टरी के पद पर नियुक्त किया गया इसके बाद उन्हें राजा की उपाधि दी गई।
अंग्रेज सरकार की सेवा करते हुए राजा लक्षमण सिंह का साहित्य अनुराग जीवित रहा, अनुवादक के रूप में उन्हें बेहद सफलता मिली; वे भारतेंदु युग के पहले के कवि थे, वे भारतेंदु युग से पूर्व की हिंदी गद्यशैली के पहले विधायक थे उन्होंने हिंदी भाषा को हिंदी संस्कृति से नहीं बल्कि संस्कृतनिष्ठता से जोड़ने का प्रयोग किया, उन्होंने *प्रजा हितैषी* नामक पत्र की शुरुआत आगरा से की और उनमें कालिदास के अभिज्ञान, रघुवंश, शाकुंतलम और मेघदूत का हिंदी अनुवाद किया।
उनकी टकसाली भाषा काफी प्रभावी थी, उस महान साहित्यकार की *मृत्यु 14 जुलाई 1896* को हुई वे हिंदी साहित्य में सदैव अमर रहेंगे।
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प्रस्तुति
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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