*भारतीय सेना के इतिहास के पन्नों में शौर्य की अनगिनत गाथायें छिपी हुई हैं*।... *वीरता की पराकाष्ठा पार करती कुछ सत्यकथायें ऐसी हैं*, जिन पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है *..*..
आज का लेख एक ऐसी ही परमवीर के अदम्य साहस को समर्पित है *..*..
*तस्वीर मेजर जनरल इयान कार्डोज़ो की है; इयान को "कारतूस साहब" भी कहा जाता है*। कार्डोज़ो का नाम इतना बोलने में सरल नहीं था तो उनकी बैटेलियन के सिपाहियों को कार्डोज़ो साहब के नाम का सरलीकरण कर के उन्हें कारतूस साहब बुलाना शुरू कर दिया *..*..
*कार्डोज़ो इंडियन आर्मी की सबसे खतरनाक और निडर गोरखा रेजिमेंट के पाँचवीं बटालियन में मेजर के पद पर थे*। युद्ध में इंडियन आर्मी के इस जांबाज मेजर ने बांग्लादेश के सिलहट की लड़ाई में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे, दुश्मन हार मान चुका था और हिंदुस्तानी शेरों के आगे पाकिस्तानी गीदड़ हथियार डाल चुके थे *..*..
*कार्डोज़ो पाकिस्तानी सैनिकों पर गोलियां बरसाते आगे बढ़ रहे थे के अचानक उन्होंने दुश्मन द्वारा बिछाई गई एक लैंडमाइन पर पैर रख दिया, एक ज़ोर का धमाका हुआ और कार्डोज़ो के पैर के चीथड़े उड़ गये; इसी बीच एक अन्य सैनिक की नज़र घायल कार्डोज़ो पर गयी और वह उन्हें आर्मी कैम्प तक ले गया ..*..
आर्मी कैम्प बदहाल स्थिति में था, पाकिस्तानी सेना ने कैम्प को तहस नहस कर दिया था; कैम्प में डॉक्टर मौजूद नहीं था, यहाँ तक कि मॉर्फिन या अन्य कोई दर्द निवारक दवा भी नहीं थी, कार्डोज़ो जान चुके थे के उनके पैर को काटना ही एकमात्र विकल्प है क्योंकि इंफेक्शन अगर शरीर में फैल गया तो उनकी जान जा सकती थी; *घायल अवस्था में दर्द से तड़पते कार्डोज़ो ने अपने एक साथी सैनिक को बुलाया और उसके हाथ में अपनी खुखरी पकड़ा दी ..*..
अपने पैर की ओर इशारा करते हुये कार्डोज़ो ने कहा ..... *इसे काट दो ..*..
सैनिक हक्का बक्का रह गया, उसके हाथ कांप रहे थे; कार्डोज़ो ने सैनिक से पुनः आग्रह किया के वह खुखरी के एक ही वार से उनके ज़ख्मी पैर को उनके शरीर से अलग कर दे *.*. लेकिन सैनिक की हिम्मत जवाब दे गई *..*..
*ऐसे में कार्डोज़ो ने जो किया वह एक सामान्य इंसान सोच भी नहीं सकता* ..... *उन्होंने खुखरी अपने हाथ में ली, कांपते हाथों से कार्डोज़ो ने अपने ज़ख्मी पैर पर कई वार किये, हर वार पर उनकी चीखों से सारा कैम्प गूंज उठा और अनन्तः उन्होंने खुद ही अपने ज़ख्मी पैर को अपने शरीर से अलग कर दिया ..*..
कटा हुआ पैर अपने खून से लथपथ हाथों में लेकर वह अपने एक साथी से बोले ..... *जाओ इसे मिट्टी में दफना दो ..*..
पैर शरीर से अलग हो चुका था परन्तु अभी भी कार्डोज़ो के शरीर में इंफेक्शन फैलने का खतरा बना हुआ था, कार्डोज़ो के साथियों ने उन्हें बताया के सरेंडर कर चुके पाकिस्तानी सैनिकों में एक सर्जन मेजर मोहम्मद बशीर भी हैं जो इस समय उनका ऑपरेशन कर सकते हैं *..*..
यह सुनते ही कार्डोज़ो भड़क गये और बोले *"मैं किसी पाकिस्तानी से सर्जरी नहीं करवाऊंगा और ना ही किसी पाकिस्तानी का खून मुझे चढ़ाया जाये" ..*..
मौत से लड़ रहा यह जांबाज़ अपनी ज़िंदगी बचाने के लिये किसी पाकिस्तानी की सहायता नहीं लेना चाहता था, बहुत मान मुन्नवल और अपने सीनियर के ऑर्डर के बाद उन्होंने पाकिस्तानी सर्जन को अपना ऑपरेशन करने की स्वीकृति प्रदान की *..*..
ऑपरेशन सफल रहा और कार्डोज़ो को जीवित बचा लिया गया, उनके शरीर में एक प्रोस्थेटिक पैर फिट कर दिया गया; दिव्यांग होने के पश्चात भी उन्होंने इंडियन आर्मी में अपनी सेवाऐं जारी रखी *..*..
*दिव्यांग होने पर अपनी फिटनेस साबित करने के लिए उन्हें लद्दाख ले जाया गया, जहाँ उन्हें बर्फ़ीले पहाड़ों पर चलने को कहा गया, अदम्य इच्छा शक्ति का परिचय देते हुये मेजर कार्डोज़ो ने बर्फ़ीली पहाडियों को पार कर दिया; सेना प्रमुख भी उनके साहस को देख नतमस्तक को गए और उनकी तरक्की के कागजात पर दस्तखत कर दिए, जिसके बाद मेजर कार्डोज़ो को मेजर जनरल बना दिया गया ..*..
रिटायर हो चुके मेजर जनरल कार्डोज़ो आज भी उस क्षण को याद कर के सिहर उठते हैं जब उन्होंने अपने ही हाथों से अपना पैर काट दिया था, आज भी 1971 के युद्ध किस्से सुनाते भावुक हो उठते हैं और कहते हैं कि *"एक पाँव तो क्या शरीर का हर अंग और लहू का हर कतरा मातृभूमि को समर्पित है ..*!!
जय माँ भारती *वंदे भारत मातरम्*
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प्रस्तुति
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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