*हमारा जीवन समाज का दिया हुआ है। वह हमारी ब्यक्तिगत संपत्ति नहीं है , बल्कि समाज , विश्व विराट की एक धरोहर है । इसका उपयोग समाज और राष्ट्र के कल्याण तथा उसके हित के लिए ही होना चाहिए । इस तथ्य को तभी चरितार्थ किया जा सकता है , जब हम यह आधार लेकर चलें कि हमारा जीवन अपने व्यक्तिगत रूप में भले ही कुछ कष्टपूर्ण क्यों न हो , पर दूसरों का सुख और दूसरों की सुविधा तथा दूसरों का क्लेश , हमारा सुख -क्लेश है ____ यह परमार्थ भाव मनुष्य में जिस व्यक्तिगत का विकास करता है, वह बड़ा आकर्षक होता है । इतना आकर्षक होता है कि समाज की शक्ति और विकास मूलक सद्भावनाएँ आपसे आप खिंचती चली आती हैं । पूरा समाज उसका अपना परिवार बन जाता है । ऐसी बड़ी उपलब्धि मनुष्य को किस ऊँचाई पर नहीं पहुंचा सकती ।*
*🌻🌼🙏🏻शुभ प्रभात🙏🏻🌼🌻*
*💐💐💐आपका दिन मंगलमय हो 💐💐💐*
*आपका अपना*
*पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी*
*मुंगेली छत्तीसगढ़*
*८१२००३२८३४*
No comments:
Post a Comment