*सामर्थ्य का अर्थ यह नहीं कि आप दूसरों को कितना झुका सकते हो अपितु यह है, कि आप स्वयं कितना झुक सकते हो। जीवन की महानता और कुछ नहीं केवल सामर्थ्य के साथ विनम्रता का आना ही तो है। जहाँ समर्थता होती है, वहाँ कई बार विनम्रता का अभाव ही देखा जाता है।*
*सामर्थ्य आते ही व्यक्ति के अन्दर सम्मान का भाव भी जागृत हो जाता है। सम्मान पाने वाले नहीं देने वाले बनो। बल का उपयोग स्वयं सम्मान प्राप्त करने के लिए नहीं, दूसरों के सम्मान की रक्षा के लिए करो। भगवान श्री कृष्ण बलवान होने के साथ-साथ पूरे जीवन शीलवान बने रहे। भला वह सामर्थ्य भी किस काम का ? जो व्यक्ति की नम्रता का हरण व अहंकार को पुष्ट करता हो। अत: झुक के जीना सीखो ताकि दूसरों के आशीर्वाद भरे हाथ सहजता से आपके सिर तक पहुँच सकें। बिना झुके विवाद मिल जाएगा, आशीर्वाद नहीं।*
*◆●स्वयं विचार करें●◆*
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*🙏 जय श्री राधे🙏*
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आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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