Tuesday, January 7, 2020

आज का संदेश

🔴 *आज का प्रात: संदेश* 🔴

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                           *इस धराधाम पर मनुष्य जीवन कैसे जिया जाय ? मनुष्य के आचरण कैसे हो सनातन के धर्म ग्रंथों में देखने को मिलता है | जहां मनुष्य को अनेक कर्म करने के लिए स्वतंत्र कहा गया है वही कुछ ऐसे भी कर्म हैं जो इस संसार में है तो परंतु मनुष्य के लिए वर्जित बताए गए हैं | इन्हीं कर्मों में ईर्ष्या , द्वेष , छल , कपट , चोरी , अहंकार आदि आते हैं | प्रत्येक मनुष्य के जीवन में कभी न कभी वह अवसर अवश्य प्रकट हो जाता है जब उसको यह उपरोक्त दुर्गुण अपनी जाल मैं फंसा लेते ऐसे समय पर मनुष्य को बहुत ही सावधान रहने की आवश्यकता होती है | यदि किसी के द्वारा अपने "गुरु से कपट एवं मित्र से चोरी" की जाती है तो उसका फल उसको अवश्य भुगतना पड़ता है |  हमारे यहां कहा भी गया है कि :- "गुरु से कपट मित्र से चोरी ! या हो निर्धन या हो कोढ़ी !!" | गुरु से कपट करने वाला जीवन के अंधकार में खो जाता है , उसके चेहरे का तेज गायब हो जाता है | मानव जीवन गुरु एवं मित्र यह दो ऐसे चरित्र होते हैं जो मनुष्य को जीवन के अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में सहायक होते हैं , और जब मनुष्य के द्वारा इन्हीं से कपट किया जाता है तो वह अक्षम्य अपराध की श्रेणी में आता है और मनुष्य को उसका फल अवश्य भुगतना पड़ता है | गुरु से कपट करने का परिणाम सूर्यपुत्र कर्ण को भुगतना पड़ा था | जब उसके प्राण संकट में थी तब अपने गुरु परशुराम के श्राप के कारण उसकी सारी विद्या लुप्त हो गई , वही मित्र से चोरी करने का क्या परिणाम होता है यह जानने के लिए सुदामा का चरित्र पढ़ना बहुत आवश्यक है | कहने का तात्पर्य यह है कि जीवन में हमारे आसपास कुछ ऐसे चरित्र होते हैं जो हमें ज्ञान के प्रकाश से परिपूर्ण कर देते हैं और यदि हमारे द्वारा जाने अनजाने ही उनकी निंदा या उनके प्रति कपट किया जाता है तो जीवन अंधकारमय हो जाता है | ऐसा करने के बाद मनुष्य जीवन भर सुख नहीं प्राप्त कर सकता |*

*आज के वर्तमान युग में चारों ओर छल , कपट , झूठ , पाखंड का एक प्रबल चक्रव्यूह बना हुआ है जिसमें मनुष्य चारों ओर घिर गया है | आज को कुछ मनुष्य जीवन में जल्दी से जल्दी सब कुछ प्राप्त कर लेना चाहते हैं , उसके लिए चाहे उन्हें अपने प्रिय  लोगों का गला ही क्यों ना काटना पड़े | घात , प्रतिघात एवं विश्वासघात जो भी कह लिया जाय आज इसका साम्राज्य खूब फल फूल रहा है | जिसको आप अपना मान कर के आश्रय देते हैं उसी के द्वारा आपको विश्वासघात का प्राप्त होता है | मै ऐसा करने वालों को मूर्खों की श्रेणी रखते हुए यह बताना चाहूंगा कि अपने गुरु से कपट एवं मित्र से चोरी करके उनको क्षणिक सुख , संपत्ति एवं ऐश्वर्य तो प्राप्त हो सकता है परंतु उनका आने वाला भविष्य बहुत उज्ज्वल नहीं हो सकता है , क्योंकि यह धरती कर्मभूमि है |  यहां कर्म का सिद्धांत प्रभावी होता है जिसके जैसे कर्म है उसको उसका फल भोगना ही पड़ेगा | आज मनुष्य जो दूसरों के लिए कर रहा है , दूसरों के साथ कपट पूर्ण व्यवहार करके जो प्रसन्न हो रहा है वह यह जान ले कि आने वाले समय में उसके साथ भी वही व्यवहार करने वाला कोई ना कोई समाज में खड़ा हो जाएगा क्योंकि यही कर्म का सिद्धांत है , यही प्रकृति का नियम है और यही ईश्वर की नियति है |  अपने कर्म फल से कोई भी नहीं बच सकता है जीवन में हमारे साथ ऐसा कुछ ना हो इसके लिए प्रत्येक मनुष्य को तदैव सत्कर्म की ओर उन्मुख होना चाहिए ,  अन्यथा वर्तमान में बोया हुआ बीज भविष्य में फल अवश्य देता है | मनुष्य अपने ज्ञान के अहंकार में उपरोक्त बातें मानना तो नहीं चाहता है परंतु जो उपरोक्त बातों को अनदेखा कर रहा है वह कितना बड़ा विद्वान है विचार करने की बात है |*

*विद्वान उसे कहा जाता है जो ज्ञानवान हो और जिसे यह ज्ञान ना हो कि हमें किसके साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए उसे विद्वानों की श्रेणी में रखना भी मूर्खता ही कही जा सकती है |*

🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

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सभी भगवत्प्रेमियों को *"आज दिवस की मंगलमय कामना*----🙏🏻🙏🏻🌹

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                   आपका अपना
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                  मुंगेली छत्तीसगढ़
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
    ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

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