🔴 *आज का सांध्य संदेश* 🔴
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*मानव जीवन विचित्रताओं से भरा हुआ है | मनुष्य के द्वारा ऐसे - ऐसे क्रियाकलाप किए जाते रहे हैं जिनको देख कर के ईश्वर भी आश्चर्यचकित हो जाता है | संपूर्ण जीवन काल में मनुष्य परिवार एवं समाज में भिन्न-भिन्न लोगों से भिन्न प्रकार के व्यवहार करता है , परंतु स्थिर भाव बहुत ही कम देखने को मिलता है | यह समस्त सृष्टि परिवर्तनशील है क्षणमात्र में क्या हो जाएगा यह जानने वाला ईश्वर के अतिरिक्त और कोई नहीं है | मनुष्य समाज में लोगों से अपने मन के अनुसार बैर एवं प्रीत किया करता है | किसी से भी प्रीति कर लेना मनुष्य का स्वभाव है परंतु किसी से बैर हो जाना मनुष्य की नकारात्मक मानसिकता का परिचायक है | मनुष्य किसी से बैर करता है तो उसके मुख्य कारणों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है और यदि इनके कारणों पर सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाय तो परिणाम यही निकलता है कि किसी से भी बैर / दुश्मनी होने का प्रमुख कारण अहम का टकराव ही होता है | मनुष्य अपने स्वार्थ बस किसी से प्रेम करता है और जब उसका स्वार्थ पूरा हो जाता है और विचार मिलना बंद हो जाते हैं तो धीरे-धीरे मनुष्य प्रीति का त्याग करके बैर अर्थात शत्रुता की ओर अग्रसर हो जाता है | पूर्व काल में भी बैर और प्रीति होते रहे हैं परंतु पूर्व काल के मनुष्यों में गंभीरता होती थी और अपने वचन के प्रति प्रतिबद्धता होती थी | जिससे प्रेम हो गया आजीवन उसके लिए सर्वस्व निछावर करने का प्रमाण हमारे देश भारत में प्राप्त होता है वही शत्रुता होने का भी एक ठोस कारण हुआ करता था और मनुष्य उसे भी जीवन भर निर्वाह करने का प्रयास करता था | परंतु आज सब कुछ बदल गया है |*
*आज का मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए किसी से भी प्रीति एवं बैर करने को लालायित रहता है | आज के युग में अधिकतर लोग मात्र अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए लोगों से प्रेम करते हैं | आज समाज में मनमुटाव स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है इसका प्रमुख कारण है अहम का टकराव , और इसके साथ ही आज का मनुष्य किसी के भी द्वारा अपने क्रियाकलापों पर रोक नहीं बर्दाश्त कर पाता | यदि कोई किसी को किसी गलत कार्य पर टोक देता है तो वह व्यक्ति उसे अपना शत्रु मानने लगता है | मैं आज लोगों को देख रहा हूं कि समाज की बात तो छोड़ ही दीजिए सबसे ज्यादा शत्रुता तो परिवारों में देखने को मिल रही है | लोग अपने माता पिता को भी अपना बैरी मान लेते हैं | और समाज में ऐसे ऐसे धुरंधर भी हैं जो किंचित बात पर किसी को भी अपना बैरी मान करके समाज में अपमानित कर देते हैं और पुनः दो दिन बाद समाज के भयवश या लज्जावश उन्हीं के चरण स्पर्श करते हैं यह बात यही सिद्ध करती है कि आज का मनुष्य अपने नैतिक मूल्यों से कितना पतित हो गया है | यदि किसी से आपने बैर ठान ही लिया है तो उसे बैरी की ही भांति देखना चाहिए ना कि पुनः उसी के चरण शरण में चले जाना चाहिए | यदि अपनी भूल का आभास हो जाय तब तो शरणागत होना कदापि गलत नहीं है परंतु मात्र समाज को दिखाने के लिए यदि कोई इस प्रकार के क्रियाकलाप करता है तो वह मनुष्य कहे जाने के योग्य नहीं कहा जा सकता |*
*बैर - प्रीति मनुष्य का स्वभाव है परंतु जिस प्रकार किसी भी कार्य का एक ठोस कारण होता है उसके विपरीत जाकर मनुष्य किसी से भी प्रेम या शत्रुता आज बिना किसी ठोस कारण के कर रहा है | यही वह कारण है जो बताता है कि मनुष्य ने अपनी मनुष्यता खो दी है |*
🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺
सभी भगवत्प्रेमियों को *"शुभ प्रभात वन्दन*----🙏🏻
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
मुंगेली छत्तीसगढ़
प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
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