🔴 *आज का संदेश* 🔴
🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻
*इस संसार का सृजन करने वाले परमपिता परमात्मा ने मनुष्य को सब कुछ दिया है , ईश्वर समदर्शी है उसने न किसी को कम दिया है और न किसी को ज्यादा | इस सृष्टि में मनुष्य के पास जो भी है ईश्वर का ही प्रदान किया हुआ है , भले ही लोग यह कहते हो कि हमारे पास जो संपत्ति है उसका हमने अपने श्रम और बुद्धि से प्राप्त किया है परंतु उनको यह विचार करना चाहिए कि श्रम करने के लिए बल एवं बुद्धि तो ईश्वर की ही प्रदत्त की हुई है | इस संसार में सब के पास बुद्धि हैं सबके पास काम करने के लिए बल है परंतु फिर भी सब की संपत्ति बराबर नहीं होती , यदि सब कुछ श्रम एवं बुद्धि से ही संभव होता तो सब की संपत्ति , शक्ति एवं कमाई समान होनी चाहिए थी परंतु ऐसा देखने को नहीं मिलता है , इससे स्पष्ट हो जाता है कि देने वाला कोई और ही है जिसे ईश्वर कहा जाता है | सभी के जीवन में प्राय: एक समय ऐसा आता है जब उसका बुद्धिबल धनबल एवं श्रमबल खत्म हो जाता है तब मनुष्य ईश्वर से मांगना प्रारंभ करता है और ईश्वर उसकी मांग को पूरी भी करता है | विचारणीय बात यह है कि संसार का पालन जब ईश्वर ही कर रहा है तो मांगो चाहे ना मांगो देना उसका काम है | यदि वह देने वाला ना होता तो जीव के पैदा होने के पहले मां के स्तनों में दूध ना आता | विचार कीजिए यदि ईश्वर मां के स्तनों में दूध का अनुदान ना देता तो क्या कोई ऐसी प्रक्रिया थी जो कि मां के स्तनों को दूध से भर सकती थी ? शायद आज तक वैज्ञानिक भी ऐसा कोई आविष्कार नहीं कर पाए हैं जिससे कि ऐसा कर पाना संभव हो पाता , इससे सिद्ध हो जाता है कि ईश्वर के द्वारा मनुष्य को असीम अनुदान दिया जाता है | अब उसका उपयोग मनुष्य कैसे करता है उसके ऊपर निर्भर है क्योंकि भगवान ने प्रत्येक व्यक्ति को जीवन एवं जीवन शक्तियां बीज रूप में प्रदान की है यदि मनुष्य उसका उपयोग ही ना करें तो बीज अंकुरित नहीं हो सकता है | चौरासी लाख योनियों में ईश्वर ने मनुष्य को जितना दे दिया है वह अनंत है परंतु मनुष्य ईश्वर के द्वारा दी हुई शक्तियों को ना जागृत करके मूर्छित अवस्था में पड़ा रहता है जिससे कि ईश्वर की दी हुई शक्तियां पंगु हो जाती हैं | मनुष्य को ईश्वर का ही अंश कहा गया है अर्थात जितनी शक्तियां भगवान में हैं लगभग वह सारी शक्तियां बीज रूप में मनुष्य में भी विद्यमान हैं और वह बीज है कर्म एवं ज्ञान का | मनुष्य अपनी इस ज्ञान शक्ति को जान नहीं पाता है एवं उसका उपयोग न कर पाने के कारण जीवन भर शिकायत करता रहता है कि ईश्वर ने आखिर हमें दिया क्या है ? ईश्वर के असीम अनुदान को जानने का प्रयास प्रत्येक मनुष्य को अवश्य करना चाहिए क्योंकि यदि ईश्वर के द्वारा प्रदत्त असीम शक्तियों का उपयोग मनुष्य नहीं कर पाता है तो उसका मानव जीवन अंधकार के अंधेरे में भटकते हुए समाप्त हो जाता है |*
*आज प्रायः लोग कहते हुए सुने जा सकते हैं कि ईश्वर ने दूसरों को ज्यादा दिया हमें कम , यह भी लोग कहते हैं की आखिर ईश्वर ने हमको दिया क्या है ? ईश्वर पर मनुष्य के द्वारा लगाया गया यह मिथ्या आरोप है , क्योंकि ईश्वर ने बिना भेदभाव के सबको समान रूप से शक्तियां वितरित की हैं | मैं बताना चाहूंगा कि जिस प्रकार एक पिता के कई पुत्र होते हैं तो पिता अपनी संपत्ति का बंटवारा सभी पुत्रों में समान रूप से करता है | उन्हीं पुत्रों में से कोई उस संपत्ति को दुगनी चौगुनी बढ़ा लेता है तो कोई अपनी कर्म - कुकर्मों के द्वारा उसे संपत्ति को नष्ट कर देता है और अपना पतन कर देता है | ठीक उसी प्रकार ईश्वर ने मनुष्य को असीम शक्तियां समान रूप से दी हैं परंतु कुछ मनुष्य ऐसे होते हैं जो ईश्वर द्वारा प्रदत्त शक्तियों को निरंतर जागृत करते हुए निरंतर उन्नति के पथ पर अग्रसर होते हैं उन्हीं में से कुछ ऐसे होते हैं जो कि अपनी शक्तियों का अनुचित प्रयोग करके उसको नष्ट करते हुए पतित हो जाते हैं | कहने का तात्पर्य है कि ईश्वर ने हमें क्या दिया है यह विचार करने का प्रश्न नहीं है बल्कि मनुष्य को विचार करना चाहिए कि ईश्वर ने हमको जो कुछ दे दिया है हम उसका उपयोग किस प्रकार कर रहे हैं ? ईश्वर समदर्शी है और किसी के साथ भेदभाव नहीं करता है परंतु मनुष्स उसकी समदर्शिता को नहीं देख पाता और उस पर मिथ्यारोपण किया करता है | ईश्वर ने मनुष्य को जो दे दिया है और शायद अन्य किसी प्राणी को नहीं प्राप्त है इसलिए ईश्वर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए यह विचार करना चाहिए कि ईश्वर ने मनुष्य को अपार आनंद शक्ति का दान दिया है , परंतु मनुष्य अपनी मूर्खता के कारण उसका वितरण नहीं कर पाता है और बिना वितरण किए आनंद का अनुभव नहीं हो पाता | इसलिए प्रत्येक मनुष्य को ईश्वर द्वारा प्रदत शक्तियों का समुचित प्रयोग लोक कल्याण में करते हुए अपने जीवन को निरंतर उन्नतशील बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए |*
*इस संसार में ईश्वर ने सब कुछ भर दिया है उसका उपयोग मनुष्य किस प्रकार करता है यह मनुष्य की वैचारिक शक्ति पर निर्भर करता है | वही मनुष्य अपने लक्ष्य तक पहुंच पाता है जो ईश्वर को कभी ना भूल कर भी उसके द्वारा दिए गए अनुदान को सकारात्मकता से ग्रहण करते हुए निरंतर अपने कर्म पथ पर अग्रसर रहता है |*
🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺
🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥
सभी भगवत्प्रेमियों को आज दिवस की *"मंगलमय कामना-----*🙏🏻🙏🏻🌹
♻🏵♻🏵♻🏵♻🏵♻🏵♻
आपका अपना
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
मुंगेली छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७
No comments:
Post a Comment