रोती वसुंधरा, क्या ठहरे उसके पूत्र उसके दास नहीं
ग़लती तुम्हारी नहीं अर्णव, हमें इसका आभास नहीं
क्या हुआ गर एक विदेशी से उसका पेशा पूछ लिया
राजनीतिज्ञ ठहरे तो क्या है, जनता ठहरी खास नहीं
तुम खोलो आँखें देश की सोया हुआ देश तो क्या है
जागेगा एक दिन, छोड़ना तुम कभी भी प्रयास नहीं
सच्ची पत्रकारिता अपनाके, उतारो नकाब चेहरों से
यहाँ दिल के काले नेता ठहरे लेने देंगे तुझे सांस नहीं
गुरु चाणक्य कह गये थे,विदेशी कभी हितकर नहीं
देश बेच खाने कब छोड़ेगा कभी अपने अभ्यास नहीं
पृथ्वी ने आँखें फुड़वा डाली की आँखें खुल जाएंगी
गुरु गोविंद ने दी बच्चो की कुर्बानी आई ये रास नहीं
नहीं भूल सकते हम अम्बी,जयचंद मीर जाफर यहाँ
इससे ज्यादा क्या करेंगे ये देश का ये सत्यानास नहीं
जब चाहो चैनल पर बुलवा लेना गोस्वामी तुम हमकों
हम दरबारी कवि ना ठहरे लिखते कभी बकवास नहीं
तुम देश जगाओ खेमेश्वर की कलम साथ तुम्हारे ठहरी
हमारे अलावा तुम्हें मिलेगा कोई कवि अपने पास नहीं
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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