2122-1122-1122-22
जिन को हालात पे जीने का बहाना आये!
खुश है अपनों से भी गैरों से जताना आये।1।
चलते जातें हैं यूँ राहों में बढ़कर फिर भी!
डगमगाते तो हैं कदमों को दबाना आये।2।
दिल को समझाए ऐ दिल तूँ भी तो ढलते जाओ!
इससे पहले के गम को ले के फसाना आये।3।
जिन के यादों में हूँ खोया वो ना समझा जाना!
पल को हम भी जी लें जीभर वो जमाना आये।4
किस को किस कदर से चाहें कहें अपना साथी!
हमने हर पल ही दूआ की मनाना आये।5।
जिन को हालात पे जीने का बहाना आये!
खुश है अपनों से भी गैरों से जताना आये।1।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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