डर-डर कर जीना जिसे,देना क्या धिक्कार,
पहले से ही वह मरा,उसका क्या आधार।
आये बर्बर देश में, हमको रौंदे नाच,
हिंदू को बंदी किये,तोड़े मंदिर काँच।
तीस कोटि हिंदू अभी,फँसे जाल इस्लाम,
मुक्त कराये जो इन्हें, वही समय का राम।
पाक गया बँगला गया, और गया अफगान,
काशी-मथुरा-अवध भी,मिले न सस्ता जान।
पाक निरंतर कर रहा सीमा पर से वार,
मुर्दा जैसे हम हुए,फिर किसको धिक्कार।
भारत माँ के लाल को,करता नित्य हलाल,
हम तो बैठे मौज से,पढ़ अखबारी हाल।
तुच्छ स्वार्थ से हम ग्रसित, उनका लक्ष्य कराल,
चोट चतुर्दिक् दे रहे,करके प्रेत धमाल।
सीमा पर आतंक है,भीतर भी आतंक,
छिपा हुआ क्यों साद है,थूक हजारों डंक।
सब की हो कटिबद्धता,जीते हिंदुस्तान,
भीतर यदि हम एक हों, रहे युद्ध आसान।
भीतर भी इस्लाम रिपु,बाहर भी इस्लाम,
सच्चाई स्वीकार लें, तब जय मिले ललाम।
एक देश कानून दो,डाल रहा अवरोध,
हम सब एक समान हैं, कब जागेगा बोध।
थूकवाद का सच कहो,बोलो जी अब साँच,
साथी सारे डर रहे,कलम रही यह बाँच।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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