कोरोना अब तेज,हो रहा हाहाकारी,
भागे जाए दूर,चढ़ो छत पीटो तारी।
खेमेश्वर संदेश यही,दिल्ली से आया,
तभी बनेगी बात,आज सबने दुहराया।
यह अवरोधक ज्ञान,मानकर करो आचरण,
नहीं बनो मतिमंद,धार कर जीर्ण आवरण।
फूँको अपने शंख,जंग की खुली चुनौती,
रहना सदा निरोग,हमारी यही बपौती।
सहमे सारे राष्ट्र, भूलकर तानाशाही,
यह है चीनी डंक,सजग हो बचना राही,
गये तनिक भी चूक,मूक हो सोना होगा,
जीवन मिला अमूल्य,हाथ से धोना होगा।
ठहरो कुछ दिन आप,जान लो वायरस ठहरा,
इसकी सारी नीव,स्वत:ही जाए भहरा।
लगी जहाँ जो आग,वहीं पर ठंडा जाये,
यह मानव की जाति,जान लो अमृत पाये।
रोये इटली-चीन,जगत यह हुआ रुआंसा,
मानवता की हानि,जानते केवल झांसा।
मनुज-मनुज का शत्रु,हेतु यह रचना सारी,
मनुज हुआ अभिशप्त, त्रासदी यह भयकारी।
यह भारी षडयंत्र, मनुज की रचना मानो,
रहे वायरस दूर,बाँध कर मुट्ठी तानो।
परंपरा का राज,आचरण करके जानो,
यही वेद का ज्ञान,स्वच्छता को पहचानो।
दया धर्म का मूल,सनातन कहता अपना,
सत्य एक है प्रेम,जगत को जानो सपना।
धरती का संताप,संत के हृदय समाये,
चलो संत के पास,यही सद्ग्रंथ बताये।
दया-धर्म शृंगार,मनुज जब अपना भूले,
चढ़ ऊपर आकाश,चाहता रवि को छू ले।
खाये सारे जीव,कुतर्की जीवन जीता,
खेमेश्वर तब जान,हुआ करतल है रीता।
कलम कहे अब रोक,यहीं पर अपना रोला,
माँग मनुज से भीख,दया का खाली झोला।
यह जीवन का शाप,यहीं मिट जाए सारा,
होने को है भोर,उदित होता रवि तारा
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
No comments:
Post a Comment