करार करके मुझे जिसने बेकरार किया है
हाँ उसी का मैंने अब तक इन्तजार किया है
करार करके मुझे जिसने बेकरार किया है
पिलायी मुझको आँखों से मैं शराबी बन गया
दिखायी मुझको वो अदाएं मैं दीवाना बन गया
हजार इम्तहां ले जिसने इन्तख़ाब किया है
हाँ उसी का मैंने अब तक इन्तजार किया है
करार करके मुझे जिसने बेकरार किया है
न जाने कैसा मौहब्बत का ग़ुल खिलता रहा
तेरी बातों ही में मुझको सकूं मिलता रहा
बिठाकर सामने, ख़ुद को बेनकाब किया है
हाँ उसी का मैंने अब तक इन्तजार किया है
करार करके मुझे जिसने बेकरार किया है
गरम गरम तेरी सांसें मैं लबों को चूमता
नरम नरम तेरी बाहें मैं बदन को चूमता
बैचेन इतना मुझे जिसने सारी रात किया है
हाँ उसी का मैंने अब तक इन्तजार किया है
करार करके मुझे जिसने बेकरार किया है
मैं ढूंढता हूँ उसे अब भी वो नज़र नहीं आती
पता मैं किससे करूं उसका कोई ख़बर नहीं आती
बीमार करके मुझे जिसने लाइलाज किया है
हाँ उसी का मैंने अब तक इन्तजार किया है
करार करके मुझे जिसने बेकरार किया है
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
No comments:
Post a Comment