थका सा दूर से जब भी तेरे पास आता हूँ!
देखूं जो हंसीं सूरत गमों को भूल जाता हूँ।
बसे हो आंखों में ऐसे हो दिल चुराये बैठे !
लगे है चार सू चाह के मेले सदाएं पाता हूँ।
खिले है गुल भी दिल के सजे बाग मन का!
मिला आ सुर में सुर को हंसीं गीत गाता हूँ।
रजा है रब की मिले यूँ दिल मन मन से!
करूं ये दुआ भी और एकदूजे को भाता हूं।
नहीं है कुछ भी आप बिन हंसीं दुनियां में।
मिलें आ आये हम निभाने वफ़ा का नाता हूं।
थका सा दूर से जब भी तेरे पास आता हूँ!
देखूं जो हंसीं सूरत गमों को भूल जाता हूँ।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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