उल्फ़त की दुनियां सजाकर,
देखो ज़रा मुस्कुराकर,
के प्यार होता है क्या।।
चाहत का अरमां जगाकर,
देखो गले से लगाकर,
के प्यार होता है क्या।१।
हसरत हमारी खिलेगी सपने सजेंगे,
सदा फिर महब्बत का रुत निखरेंगे।।
आंखों में हमको बसाकर,
देखो नजर को मिलाकर,
के प्यार होता है क्या।२।
कुछ हम कहें और तुम भी तो कुछ सुनाओ,
ढलें आओ फिर ढलें आओ फिर।।
गम को कुछ पल भुलाकर,
देखो खुशी को जताकर,
के प्यार होता है क्या।३।
आओ सँवारे हसीं ख्वाबों को फिर से,
दिल को मिलायें दिलवर चले आ दिल से।।
राहों में गुल को बिछाकर,
देखो वफ़ा को निभाकर,
के प्यार होता है क्या।४।
लेके ढलो जिंदगी में हंसीं पल,
गम जताये दिल को रहा हूँ बेकल।।
मुश्किल में भी खिल खिलाकर,
देखो सभी को हँसाकर,
के प्यार होता है क्या।५।
उल्फ़त की दुनियां सजाकर,
देखो ज़रा मुस्कुराकर,
के प्यार होता है क्या।।
चाहत का अरमां जगाकर,
देखो गले से लगाकर,
के प्यार होता है क्या।१।
(२२१२-२१२२-२२१२-२१२२-२२१२-२२२)
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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