माँ की ममता का नहीं, लग सकता है मोल!
जिसने भी समझा इसे, वह मानव अनमोल!!
स्वर्ग है जिसके चरण में, माँ है उसका नाम!
उन चरणों को पूजकर, मिलते चारों धाम!!
माता से मिलती हमें, जीवन की सौगात!
उनसे बढ़कर कौन है, इस दुनिया में नात!!
सबकी सारी गलतियां, जाती पल में भूल!
नित्य लगाओ माथ पर, माँ चरणों की धूल!!
माँ का त्याग, बलिदान, बनाए हमें महान!
फिर भी हम भूलें उसे, करें न उसका मान!!
न चुकाने से चुक सके, माँ का वो उपकार!
जीवन उसने कर दिया, सबका ही साकार!!
माता माता रट रहे, माँ की न रखी लाज !
माँ बिचारी तङप रही, कोई न पूछे आज!!
हर दम ही करती सदा, वह सब पर उपकार!
फिर भी मिलता न उसको, सबके मन का प्यार!!
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
No comments:
Post a Comment