🕉️📕 *सावन विशेष श्रीरामकथा अमृत सुधा-13*📕🐚
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩
💢💢 *उमा शिव विवाह महत्व-०२* 💢💢 विश्राम भाग
➖➖➿➿➿➿➿➖➖
🗣
*शिव पार्वती का विवाह हो चुका है,और इस मिलन से एक तरफ तो सकाम कर्म की प्रेरणा से युक्त देवताओ के अभीष्ट की सिद्धि हुई और स्वामी कार्तिक जैसे पुरुषार्थ परायण सेनापति को पाकर उनकी सुख सम्पति लौट आई,वही दूसरी तरफ ज्ञानी और भक्तो के लिए भी यह मिलन कल्याणकारी सिद्ध हुआ |*
*जहॉ सकाम कर्मियो के लिए उनके शारीरिक मिलन की अपेक्षा थी, वही भक्तो की दृष्टि मे उनके मानसिक मिलन का महत्व है |*
भगवान् भोले भंडारी के मन मे श्रीरामचरितमानस की रचना युगो पूर्व हो चुकी थी और *उसके प्रथम संस्करण को वो लोमश ऋषि द्वारा काकभूषुण्डि जी को प्रदत्त कर चुके थे* पर यह पूरी तरह प्रचलित नही हो पायी थी | *सती जो पार्वती से पहले थी,उनमे बौद्धिक अंहकार होने के कारण इसकी अधिकारिणी नही बन सकी थी |*
दक्ष तन्या के सामने श्रीसरकारजी के कथा का प्राकट्य नही हो पाया पर *अब वही सती अपनी त्रुटियो को समझकर अटल हिमाचल के यहॉ श्रद्धा बनकर पार्वती रुप मे आयी और शिव की अर्धांगिनि बन गयी है |* एक दिन कैलास के शिखर पर बैठे भोले भंडारी से क्या कह रही है देखे-
*है दक्षसुता की देह नही,अब तो सेवा मे गिरिजा है | फिर पूर्व जन्म की उलझन को प्रभु सुलझा दे तो अच्छा है ||*
यही पर नही रुकती आगे भी कहती हैं-
*हो भक्त भगीरथ पर प्रसन्न,तत्क्षण उसको गंगा दी थी|तो मैने भी की देह भस्म,मेरी इस बलि पर ध्यान करे |*
*श्रीरामकथा रुपी गंगा अब मेरे लिए प्रदान करे ||*
देवो के देव महादेव यह सुनकर मुस्काए और देखे कि
*भक्ति गीत से बंजर मन मे, नव नव अंकुर आए | भक्ति प्रेम की रस वर्षा से,चमन मे फूल उग आए ||*
बाबा ने सोचा कि माता पार्वती के अन्त:करण मे श्रीसरकारजी की कथा श्रवण की असीम उत्कंठा जागृत है यही सु समय है -
*जब भाव समर्पण मन से है,वहॉ तर्क विवेक नही होता | आस्था का जहॉ विसर्जन है,वहॉ खंडित विश्वास नही होता ||*
अब भोले भंडारी कहते है कि ध्यान से कथा सुने पार्वती जी आप , पर यह भी ध्यान रखे-
*सम्पूर्ण नही अपूर्ण होता,सूरज न कभी आधा होता | जो चक्षु दोष से पीडित हो,उसे सत्य का आभास ही नही होता ||*
यह कहते हूए शिव जी ने मानस का विवरण मईया को दिए |
*क्योकि रामचरितमानस का अवतरण विश्वास युक्त ह्रदय मे ही संभव है और उसे श्रवण करने के लिए ह्रदय मे सच्ची श्रद्धा भावना की आवश्यकता है |*
💐
*अत: शिव पार्वती का मिलन न केवल स्वार्थपरायण देवताओ के हित के लिए हुआ; अपितु उसके द्वारा समाज के देशकालातीत सत्य रुपी मानस की उपलब्धि हुई |*
💐🙏🏻💐
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*जनजागृति हेतु लेख प्रसारण अवश्य करें*⛳🙏🏻
*_कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।_*
*सूर्यपुत्र शनिदेव की जय⛳*
आपका अपना
"पं.खेमेश्वरपुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज-व्यंग्य कवि
राष्ट्रीय प्रवक्ता
राष्ट्र भाषा प्रचार मंच-भारत
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
No comments:
Post a Comment