Sunday, August 19, 2018

★ संसोधित SC-ST Act ★

हरिजन शब्द रहा ब्राह्मण का,
         गांधी ने जिसको छीन लिया।
इसी शब्द में फिर दलितों को,
               बड़े हर्ष से लीन किया।।
लेकिन अब हरिजन शब्द से भीे ,
              लगता है उन्हें घिन आता है,
इसीलिए घर-आंगन में बस ,
              भीम का चित्र सुहाता है ।।
आज उसी गलती को फिर से,
                दामोदर मोदी दोहराएंगे।
फिर तो सम्भव नही,लौटकर,
                 फिर सत्ता में आएंगे।।
हिन्दू-हिन्दू करते -करते ,
                   कब तक हिन्दू गाएंगे।
हरिजन-एक्ट गले मे लेकर,
                  कैसे कमल खिलाएंगे ।।
तुमने कहा-सब्सिडी छोड़ो,
                   हमने सुविधा त्याग दिया।
लेकिन आरक्षण तजने का,
                 तुमने न उनको सलाह दिया।।
बड़ी-बड़ी गाड़ियां रखकर,
                 बड़े बंगलो में रहते है।
फिर भी बड़े प्यार से खुद को,
                 'दलित' रियासी कहते है।।
'दलित' देखना अगर तुम्हें हो,
                 चलकर मैं दिखलाता हूँ।
आज सवर्णो के आंगन में,
                 सबसे 'दलित'मैं पाता हूँ।।
भूखा ब्राह्मण पड़ा हुआ है,
                 पेट-पीठ को एक किये।
'ठाकुर साहब ' भिखमंगे है,
                 अब कैसे उनके प्राण जियें।।
लेकिन सरकारी 'सिस्टम के,
                 ये सवर्ण अपराधी हैं।
घर मे नही है दाना इनके,
                 खाने को रोटी 'आधी' है।।
नही 'योजना'इनकी खातिर,
                नही वजीफा है बच्चों का।
तुम भी तो हो यही सोंचते,
                 देश तो केवल है 'चच्चों 'का।।

तुमसे तो अच्छी 'माया' थी,
                  कहे- करे में भेद नही था।
खाया-पिया-निभाया उसकी,
                  थाली में तो छेद नही था।।
नही सम्भलता देश अगर तो ,
                   अन्य कार्य मे जुट जाओ।
'कुर्सी' है,अर्थी तो नही है,
                   इस कुर्सी से उठ जाओ।।

             ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                      मुंगेली - छत्तीसगढ़
                       ७८२८६५७०५७

Saturday, August 18, 2018

छत्तीसगढ़ मा छत्तीसगढ़िया चाही

गे जमाना अब गुलामी के, मोला स्वतंत्रता अब चाही।
भूल जव बात निलामी के, मोला अखंडता अब चाही।
जाति पाति के भरम ला संगी,जेन हर भुला अब पाही।
धरम करम के बाढ़त हे जंगी,ओला ऐहीच मन मिटाही।
ओ अंग्रेजिहा मन चल दिस,तो अब नेता मन अगूवाहीं।
हिंदी धर्म ला छोड़ के भइया,अब भाषा के राज चलाहीं।
भूलागेव का ओ दिन,सोनाखान में मुँह के खाए रहिस।
बहतराई राजा ह बैरिस्टर,देवाल मा चिपकाए रहिस।
आज ओही बेरा आगे हे,पश्चिमी सभ्यता भगाना हे।
हमर छत्तीसगढ़ में आगू, छत्तीसगढ़ी ल गोठियाना हे।
जब कोनो सरकारी आफिस जाथन,गँवईहा कहाथन।
हमरे घर के भात खवाके,उल्टा अंग्रेजिहा थपरा खाथन।
जेन छत्तीसगढ़ के अफसर,हमर पीरा नई समझ पाही।
हमन ल तो भइया अंग्रेजिहा सही,हितवा अब नि चाही।
गर देश स्वतंत्र होगे हे,अंग्रेजी ले छुट्टी बढ़िया चाही।
पीरा हमर समझे वो,छत्तीसगढ़ मा छत्तीसगढ़िया चाही।

              ✍पं. खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
                     "छत्तीसगढ़िया राजा"
                       मुंगेली - छत्तीसगढ़
           ८१२००३२८३४ - ७८२८६५७०५७
khemeshwarpurigoswami@gmail.com

Thursday, August 16, 2018

भारत रत्न को विनम्र श्रद्धांजलि

भारत को आयाम नया दे, निखारा विश्व पटल।
एक नए युग निर्माण के, नींव रचा वो अटल ।।
जिनके कमी से, फिसल गया हर किसी के पैरों तले भूतल।
ऐसे भारत रत्न,युग पुरूष को, करें कोटि नमन हृदयतल।।
अपनी हार से राष्ट्र हार अपनी जीत से जीत।
जीवन अर्पण कर दिया,अटल,अब नाम किया अमिट ।।
जिनके जाने की खबर सून , आसमान भी रोया है।
सच कहता हूं,देश, मां भारती ने अनमोल रतन को खोया है।।

💐💐🇮🇳अश्रुपूरित श्रद्धांजलि 🇮🇳💐💐

      ✍ पं. खेमेश्वर पुरी गोस्वामी ✍

    मुंगेली छत्तीसगढ़-८१२००३२८३४

झगरा नि सिराय संगवारी

असमंजस के थपरा,हर कोनो तो इहाँ खाथे संगवारी,
बड़े खड़ा होके महल में,देख देख बिजराथे संगवारी।
जुग बदलगे,हाल नि बदलिस,राजा मन के राज रहे हे,
जनता मन के,दु:ख पीरा ले,ओही जुना नाता संगवारी।
पहिली तो नेता जखम देथे, फेर नून घलो उन डारत हें,
सबला आपस मा लड़वाये,फेर गलत कहिथे संगवारी।
जिहाँ शांत रहे थोकिन,अब, उहों बवाल तो करवावत हे,
सपना मा घलो नि दिखे,जिनगी हाँसत-गावत संगवारी।
पाँव पाँव मा जनवर कस दर्शन, मानवता मरत जावत हे,
जेन तोर आँव कहि आगू आथे,दरद  देके जाथे संगवारी।
सबके मन बनगे कुरूक्षेत्र, इहां लहू के धार बोहावत हे,
लोकतंत्र में मतलब के,अब,झगरा नई सिराय संगवारी।
कोनो सुनके गुसियावत हे,कोनो सुन हँस गोठियावत हे,
सत के "खेमेस्वर" गठरी छोरे,सही बात सुनाय संगवारी।

                 ✍पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍
                        "छत्तीसगढ़िया राजा"
                          मुंगेली - छत्तीसगढ़
                           7828657057
   khemeshwarpurigoswami@gmail.com

Tuesday, August 14, 2018

आजादी का मतलब

अगस्त १५ ,सन १९४७ के होगे रहेन हमन आजाद,
आजादी के मतलब का समझेन अतका दिन बाद।
अंगरेजिहा मन के शासन में,घेराय रहेन गुलामी मां,
जाति पाति के गुलाम होगेन संमिधान बने के बाद।।

अपने देश मा गुलाम हन हमन,

पहिली गोरिया करिया मा बांटिन उन मन जी हमला,
आज हमर अपने मन,कर दिस जाति अऊ धरमवाद।
भारत के पहिचान रहस,अलग-अलग पंथ ,एकता के रंग
वो भारत आज गोठियात हे,आरक्षन जातपातके बात।।

मर गिन मिट गिन कतको, नेता मन देवाय बर आजादी,
हमर करम देख ऊंखर आत्मा,कहिही,रहो तुमन आबाद।
जातिवाद, आरक्षण अऊ धर्मवाद हर मति हमर भरमाय
नेता मन अपने ला देखय,जनता ला फोकट लड़वात।।

खुदे ल समझाव अब  अतका तो,  बर्बादी होय  के बाद,
बलदानी जवान के सेती,समझव होगे हन हम आजाद।।
      जय हिन्द, जय भारत जय छत्तीसगढ़

               ✍पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍
            रचयिता - मानष दर्पण (रचना जारी)
                       मुंगेली छत्तीसगढ़
                       ७८२८६५७०५७
                       ८१२००३२८३४

Sunday, August 5, 2018

मैदाने जंग मिलिस

दुनिया मा वइसे तो हर कोनो के साथ संग मिलिस
फेर का बतांव सबो के चेहरा मा एकेच रंग मिलिस
मज़हब  के अंजोर  मा बरत  रहिस जग संसार
मज़हब के बाबा मन ले   फेर शहर तंग मिलिस
सत के पांखी जेन  लगाइस   वो तो उड़ गेहिस
वो मनखे बलदानी बर एक नवा बिहान मिलिस
काली जुवर तक धकियाके  देवत रहिस परान
भाखा म ओखर आज   अजीब ऐ ढंग मिलिस
जेन हर  लिबास  ओढ़े   रिहिस  बने असुल के
ओ तो आज  बेइमानी के  पतंग उड़ात मिलिस
सूली मा  घलो चढ़  गे इंहा  बने  लागथे किहके
तारिख़ के पतरा मा एक अइसन प्रसंग मिलिस
अएना मा मूहू  देख  अकचका  गेंहेव आज  मैं
उहू हर मोला देख कऊनकदर अब दंग मिलिस
मयारू जिहाँ  गेहिस उहाँ  बड़  भीड़  रहे जमा
हाथन मा सबके एक  छुरा जसन  संग मिलिस
मिलके चलत रहिस  जम्मो  रद्दा तो शांति डहर
काबर बिरासत मा ये मैदाने जंग हमला मिलिस

✍ पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी ✍
     "छत्तीसगढ़िया राजा"
       मुंगेली- छत्तीसगढ़
         8120032834
         7828657057

Friday, July 27, 2018

अब एक नवा इतिहास लिखव

मया पिरा में सोवइया हो,अभी बेरा हे जाग जावव..
एखर ले पहिली के तुंहर ए नींद, राज ल ले डुवय...
जाति-पाती मा  देश ला , बांटके बन्टाधार करइया...
अपन हित चाहत  हव, ते  अब तो एक हो जावव…
भाखा के नाम मा लड़इया होवा…….
हिंदी ला  जग के सिरमौर बनावव………….
राष्ट्र हित मा कुछु तो तियागे करव तुमन
एखर ले पहिले के देश फेर ले गुलाम बन जावय…….
आधुनिकता केवल पहिनावा ले नि होय संगी....
बात ला अभी भी धर लव तुमन………….
फिर कभू कोनों लंग कोनो भूखे झन सोए...
कोनो इसन क्रांति ले आवव तुमन………….
भारत मा हर कोनो शिक्षित होवय…….
देश ला अइसन पढ़ावव तुमन…………

अभीन ले बेरा हे तुमन जागव,
अब एक नवा इतिहास लिखव।।

     ✍ पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी✍
               मुंगेली छत्तीसगढ़
               ७८२८६५७०५७
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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...