Monday, September 2, 2019

किताबें कुछ कहना चाहती हैं

आपको द्रोणाचार्य के वध का आख्यान शायद याद हो. द्रोणाचार्य पांडव सेना का संहार करते जा रहे थे. इस पर श्रीकृष्ण ने द्रोणाचार्य का वध करने के लिए योजना बनायी. युद्ध भूमि में यह बात फैला दी गयी कि अश्वत्थामा मारा गया है.

जब द्रोणाचार्य ने धर्मराज युधिष्ठिर से अश्वत्थामा की मृत्यु की सत्यता जाननी चाही, तो युधिष्ठिर ने जवाब दिया- अश्वत्थामा हतो नरो वा कुंजरो वा (अश्वत्थामा मारा गया है, लेकिन मुझे पता नहीं कि वह नर था या हाथी).

अंतिम शब्द द्रोणाचार्य को सुनायी न दे, इसके लिए श्रीकृष्ण ने अपना शंख बजा दिया. यह सुन गुरु द्रोण पुत्र मोह में शस्त्र त्याग कर युद्ध भूमि में बैठ गये और उसी अवसर का लाभ उठाकर पांचाल नरेश द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया. कुछ दिनों पहले एक खबर आयी कि बंबई हाइकोर्ट के जज ने नक्सलवाद को समर्थन देने के आरोपी वेरनोन गोंजाल्विस से पूछा था कि उन्होंने *‘वार एंड पीस’* जैसी आपत्तिजनक किताब अपने घर में क्यों रखी?

न्यायाधीश की इस कथित टिप्पणी पर टि्वटर पर हजारों प्रतिक्रियाएं आयीं. सोशल मीडिया पर यह विषय सुर्खियों में रहा, लेकिन अगले ही दिन न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि वह जानते हैं कि *लियो टॉलस्टॉय की किताब वार एंड पीस एक उत्कृष्ट कृति है* . जब आरोप-पत्र से समूची सूची को पढ़ा जा रहा था, तो उन्होंने पाया कि यह बहुत ही खराब लिखावट में लिखी गयी थी.

वह पुलिस द्वारा साक्ष्य के रूप में उपलब्ध करायी पूरी सूची पर सवाल कर रहे थे, तब बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को बताया कि वार एंड पीस, जिसका अदालत ने जिक्र किया था, वह विश्वजीत रॉय द्वारा संपादित निबंधों का संग्रह है और उसका शीर्षक *वार एंड पीस इन जंगलमहल : पीपुल, स्टेट एंड माओइस्ट* है. जो किताब पुलिस ने कोर्ट के सामने रखी थी, वह विश्वजीत रॉय की किताब है. जिस किताब को लेकर खबरें चलीं, वह लियो टॉलस्टॉय की किताब है.

इन दोनों ही किताबों में कोई साम्य नहीं है. टॉलस्टॉय महान लेखकों में से एक हैं. उनकी विश्व विख्यात कृति *वॉर एंड पीस ( युद्ध और शांति) 19वीं सदी की महान कृति* है. रूस की जारशाही के उथल-पथल के दौर में टॉलस्टॉय ने 1869 में वॉर एंड पीस लिखी थी. इसमें एक मुख्य कथानक है और उसके इर्द-गिर्द घूमती अनेक उपकथाएं हैं. इन अनेक पात्रों के साथ चलता *यह महाउपन्यास युद्ध की विभीषिकाओं के बीच मानवीय सभ्यता के लिए शांति के महत्व को रेखांकित करता है*.

जाने-माने *फ्रांसीसी लेखक रोमां रोलां ने इसे 19वीं सदी की भव्य कृति कहा था. मैक्सम गोर्की ने टॉलस्टॉय को दुनिया का महान लेखक घोषित बताया* था. विश्वजीत रॉय इस विमर्श के दूसरे किरदार हैं. जो किताब विश्वजीत रॉय ने लिखी है और जिसे पुलिस ने अदालत में पेश किया गया है, वह पूरी तरह भारतीय है और जो सूचनाएं उपलब्ध हैं, उनके अनुसार, इसमें नक्सलवाद और क्रांति से जुड़े लेख संकलित हैं.

बहरहाल, इस बहाने किताबों के पठन-पाठन पर भी विमर्श शुरू होना चाहिए. यह बात स्पष्ट है कि *टेक्नोलाॅजी के इस दौर में किताब पढ़ने की परंपरा कम हो गयी है*. साहित्य सृजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

साहित्य की विभिन्न विधाओं ने समाज का मार्गदर्शन किया है और समाज के यथार्थ को प्रस्तुत किया है. *मौजूदा दौर में किताबों को अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है*. टेक्नोलाॅजी के विस्तार ने किताबों के सामने गंभीर चुनौती पेश की है.

मेरा मानना है कि नयी तकनीक ने दोतरफा असर डाला है. इसने किताबों का भला भी किया है और नुकसान. इसने लिखित शब्द और पाठक के बीच के अंतराल को बढ़ाया है. लोग व्हाट्सएप, फेसबुक में ही उलझे रहते हैं, उनके पास पढ़ने का समय ही नहीं है. लोग अखबार तक नहीं पढ़ते, केवल शीर्षक देख कर आगे बढ़ जाते हैं. गूगल ने तो किताबों को लेकर एक बड़ी योजना शुरू की है. उसने *सौ देशों से चार सौ भाषाओं में करीब डेढ़ करोड़ किताबें डिजिलाइस* की हैं.

उसका मानना है कि भविष्य में अधिकतर लोग किताबें ऑनलाइन पढ़ना पसंद करेंगे. वे सिर्फ ई-बुक्स ही खरीदेंगे, उन्हें वर्चुअल रैक या यूं कहें कि अपनी निजी लाइब्रेरी में रखेंगे. एक पक्ष यह भी है कि इंटरनेट ने किताबों को सर्वसुलभ कराने में मदद की है. एक शोध के मुताबिक अमेरिका में ई-बुक डिवाइस का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या लगभग दो करोड़ तक पहुंच जायेगी. ऑनलाइन बिक्री के आंकड़े तो बताते हैं कि हिंदी किताबों की बिक्री बढ़ी है.

हिंदी भाषी महानगरों से तो ऐसा आभास होता है कि हिंदी का विस्तार हो रहा है, लेकिन थोड़ा दूर जाते ही हकीकत सामने आ जाती है. पहले हिंदी पट्टी के छोटे बड़े सभी शहरों में साहित्यिक पत्रिकाएं और किताबें आसानी से उपलब्ध हो जाती थीं. लोग उन्हें पढ़ते भी थे, लेकिन परिस्थितियां बदल गयी हैं.

हिंदी के जाने-माने लेखकों की भी किताबें आपको आसानी से नहीं मिलेंगी. *हिंदी भाषी क्षेत्रों की समस्या यह रही है कि वे किताबी संस्कृति को विकसित नहीं कर पाये हैं*. नयी मॉल संस्कृति में हम किताबों के लिए कोई स्थान नहीं निकाल पाये हैं. आप अपने आसपास के मॉल पर नजर डालिए, आपको एक भी किताबों की दुकान नजर नहीं आयेगी.

एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की थी कि लोग भेंट में एक-दूसरे को किताबें दें, लेकिन इसका कोई प्रभाव नजर नहीं आया. दुर्गा पूजा और दीपावली का समय नजदीक आ रहा है. इस अवसर पर *मित्रों और रिश्तेदारों को अच्छी किताबों का सेट भेंट किया जा सकता है*. यह जान लीजिए कि एक *अच्छे पुस्तकालय के बिना सूचनाएं तो मिल जायेंगी, लेकिन ज्ञान अर्जित नहीं किया जा सकता है* . अपने आसपास देख लीजिए, जो अच्छे पुस्तकालय थे, वे बंद हो रहे हैं.

यदि चल भी रहे हैं, तो उनकी हालत खस्ता है. एक दौर था, जब लोगों की निजी लाइब्रेरी हुआ करती थी और इसको लेकर एक गर्व का भाव होता था कि उनके पास इतनी बड़ी संख्या में किताबों का संग्रह है, लेकिन हम ऐसी संस्कृति नहीं विकसित कर पाये हैं. इसका सबसे बड़ा नुकसान विचारधारा के मोर्चे पर उठाना पड़ रहा है. चूंकि तकनीक ने पढ़ने की प्रवृत्ति को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है.

इसका नतीजा है कि नवयुवक किसी भी विचारधारा के साहित्य को नहीं पढ़ रहे हैं. वे नारों में ही उलझ कर रह जा रहे हैं. उन्हें विचारों की गहराई का ज्ञान नहीं हो पाता है. यह सच्चाई है, जिस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है.

                          प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Sunday, September 1, 2019

श्री गणेश पूजन विधि

श्री गणेश चतुर्थी विस्तृत पूजन विधि
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पूजन सामग्री (वृहद् पूजन के लिए ) -शुद्ध जल,दूध,दही,शहद,घी,चीनी,पंचामृत,वस्त्र,जनेऊ,मधुपर्क,सुगंध,लाल चन्दन, रोली, सिन्दूर,अक्षत(चावल),फूल,माला,बेलपत्र,दूब,शमीपत्र,गुलाल,आभूषण,सुगन्धित तेल,धूपबत्ती,दीपक,प्रसाद,फल,गंगाजल,पान,सुपारी,रूई,कपूर।

विधि👉  गणेश जी की मूर्ती लकड़ी की चौकी पर लाल या हरा रंग का कपड़ा बिछाकर स्वयं पूर्वाभिमुख बैठकर चौकी को आने सामने रखकर उसके उर गणेश जी को आसान दें और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करे अथवा मिट्टी के गणेश बनाये और आवाहन करें।

आवाहन मंत्र
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गजाननं भूतगणादिसेवितम कपित्थजम्बू फल चारू भक्षणं।
उमासुतम शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम।।

आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजा करिष्यामि तावत्वं सन्निधौ भव।।

अब नीचे दिया मंत्र पढ़कर प्रतिष्ठा (प्राण प्रतिष्ठा) करें -
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मंत्र👉 अस्यैप्राणाः प्रतिष्ठन्तु अस्यै प्राणा क्षरन्तु च।
अस्यै देवत्वमर्चार्यम मामेहती च कश्चन।।

निम्न मंत्र से गणेश भगवान को आसान दें
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रम्यं सुशोभनं दिव्यं सर्व सौख्यंकर शुभम।
आसनं च मया दत्तं गृहाण परमेश्वरः।।

पाद्य (पैर धुलना) निम्न मंत्र से पैर धुलाये।
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उष्णोदकं निर्मलं च सर्व सौगंध्य संयुत्तम।
पादप्रक्षालनार्थाय दत्तं ते प्रतिगह्यताम।।

आर्घ्य(हाथ धुलना) निम्न मंत्र से हाथ धुलाये
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अर्घ्य गृहाण देवेश गंध पुष्पाक्षतै:।
करुणाम कुरु में देव गृहणार्ध्य नमोस्तुते।।

अब निम्न मंत्र से आचमन कराए
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सर्वतीर्थ समायुक्तं सुगन्धि निर्मलं जलं।
आचम्यताम मया दत्तं गृहीत्वा परमेश्वरः।।

स्नान का मंत्र
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गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदाजलै:।
स्नापितोSसी मया देव तथा शांति कुरुश्वमे।।

दूध् से स्नान कराये
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कामधेनुसमुत्पन्नं सर्वेषां जीवन परम।
पावनं यज्ञ हेतुश्च पयः स्नानार्थं समर्पितं।।

दही से स्नान कराए
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पयस्तु समुदभूतं मधुराम्लं शक्तिप्रभं।
ध्यानीतं मया देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यतां।।

घी से स्नान कराए
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नवनीत समुत्पन्नं सर्व संतोषकारकं।
घृतं तुभ्यं प्रदास्यामि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।।

शहद से स्नान कराए
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तरु पुष्प समुदभूतं सुस्वादु मधुरं मधुः।
तेजः पुष्टिकरं दिव्यं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

शर्करा (गुड़ वाली चीनी) से स्नान
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इक्षुसार समुदभूता शंकरा पुष्टिकार्कम।
मलापहारिका दिव्या स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

पंचामृत से स्नान कराए
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पयोदधिघृतं चैव मधु च शर्करायुतं।
पंचामृतं मयानीतं स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

शुध्दोदक (शुद्ध जल ) से स्नान कराए
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मंदाकिन्यास्त यध्दारि सर्वपापहरं शुभम।
तदिधं कल्पितं देव स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम।।

निम्न मंत्र बोलकर वस्त्र पहनाए
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सर्वभूषाधिके सौम्ये लोक लज्जा निवारणे।
मयोपपादिते तुभ्यं वाससी प्रतिगृह्यतां।।

उपवस्त्र (कपडे का टुकड़ा ) अर्पण करें
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सुजातो ज्योतिषा सह्शर्म वरुथमासदत्सव:।
वासोअस्तेविश्वरूपवं संव्ययस्वविभावसो।।

अब यज्ञोपवीत (जनेऊ) पहनाए
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नवभिस्तन्तुभिर्युक्त त्रिगुण देवतामयम |
उपवीतं मया दत्तं गृहाणं परमेश्वर : ||

मधुपर्क (दही, घी, शहद और चीनी का मिश्रण) अर्पण करें।
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कस्य कन्स्येनपिहितो दधिमध्वा ज्यसन्युतः।
मधुपर्को मयानीतः पूजार्थ् प्रतिगृह्यतां।।

गन्ध (चंदन अबीर गुलाल) चढ़ाए
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श्रीखण्डचन्दनं दिव्यँ गन्धाढयं सुमनोहरम। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यतां।।

रक्त(लाल )चन्दन चढ़ाए
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रक्त चन्दन समिश्रं पारिजातसमुदभवम।
मया दत्तं गृहाणाश चन्दनं गन्धसंयुम।।

रोली लगाए
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कुमकुम कामनादिव्यं कामनाकामसंभवाम ।
कुम्कुमेनार्चितो देव गृहाण परमेश्वर्:।।

सिन्दूर चढ़ाए
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सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यं सुखवर्धनम्।
शुभदं कामदं चैव सिन्दूरं प्रतिगृह्यतां।।

अक्षत चढ़ाए
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अक्षताश्च सुरश्रेष्ठं कुम्कुमाक्तः सुशोभितः।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वरः।।

पुष्प चढ़ाये
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पुष्पैर्नांनाविधेर्दिव्यै: कुमुदैरथ चम्पकै:।
पूजार्थ नीयते तुभ्यं पुष्पाणि प्रतिगृह्यतां।।

पुष्प माला चढ़ाए
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माल्यादीनि सुगन्धिनी मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयानीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर:।।

बेल का पत्र चढ़ाए
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त्रिशाखैर्विल्वपत्रैश्च अच्छिद्रै: कोमलै: शुभै:।
तव पूजां करिष्यामि गृहाण परमेश्वर :।।

दूर्वा चढ़ाए
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त्वं दूर्वेSमृतजन्मानि वन्दितासि सुरैरपि।
सौभाग्यं संततिं देहि सर्वकार्यकरो भव।।

दूर्वाकर (दूर्वा हरि दूब) चढ़ाए।
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दूर्वाकुरान सुहरिता नमृतान मंगलप्रदाम।
आनीतांस्तव पूजार्थ गृहाण गणनायक:।।

शमीपत्र अर्पण करें
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शमी शमय ये पापं शमी लाहित कष्टका।
धारिण्यर्जुनवाणानां रामस्य प्रियवादिनी।।

अबीर गुलाल चढ़ाए
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अबीरं च गुलालं च चोवा चन्दन्मेव च।
अबीरेणर्चितो देव क्षत: शान्ति प्रयच्छमे।।

आभूषण चढ़ाए
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अलंकारान्महा दव्यान्नानारत्न विनिर्मितान।
गृहाण देवदेवेश प्रसीद परमेश्वर:।।

सुगंध तेल चढ़ाए
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चम्पकाशोक वकु ल मालती मीगरादिभि:।
वासितं स्निग्धता हेतु तेलं चारु प्रगृह्यतां।।

धूप दिखाए
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वनस्पतिरसोदभूतो गन्धढयो गंध उत्तम :।
आघ्रेय सर्वदेवानां धूपोSयं प्रतिगृह्यतां।।

दीप दिखाए
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आज्यं च वर्तिसंयुक्तं वहिन्ना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश त्रैलोक्यतिमिरापहम।।

धूप दीप दिखाने के बाद अपने हाथ धो लें।

नैवेद्य (मिठाई) अर्पण करें
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शर्कराघृत संयुक्तं मधुरं स्वादुचोत्तमम।
उपहार समायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यतां।।

मध्येपानीय (आचमन के लिये जल दिखाए)
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अतितृप्तिकरं तोयं सुगन्धि च पिबेच्छ्या।
त्वयि तृप्ते जगतृप्तं नित्यतृप्ते महात्मनि।।

ऋतुफल (फल)
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नारिकेलफलं जम्बूफलं नारंगमुत्तमम।
कुष्माण्डं पुरतो भक्त्या कल्पितं प्रतिगृह्यतां।।

आचमन (भगवान को जल दिखाकर किसी पात्र में डाले)
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गंगाजलं समानीतां सुवर्णकलशे स्थितन।
आचमम्यतां सुरश्रेष्ठ शुद्धमाचनीयकम।।

अखंड ऋतुफल (सूखे मेवे) चढ़ाए।
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इदं फलं मयादेव स्थापितं पुरतस्तव।
तेन मे सफलावाप्तिर्भवेज्जन्मनि जन्मनि।।

ताम्बूल पूंगीफलं (पान, सुपारी लौंग, इलायची) चढ़ाए
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पूंगीफलम महद्दिश्यं नागवल्लीदलैर्युतम।
एलादि चूर्णादि संयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यतां।।

दक्षिणा (दान) अर्पण करें
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हिरण्यगर्भ गर्भस्थं हेमबीजं विभावसो:।
अनन्तपुण्यफलदमत : शान्ति प्रयच्छ मे।।

आरती करें
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चंद्रादित्यो च धरणी विद्युद्ग्निंस्तर्थव च।
त्वमेव सर्वज्योतीष आर्तिक्यं प्रतिगृह्यताम।।

पुष्पांजलि करें
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नानासुगन्धिपुष्पाणि यथाकालोदभवानि च ।
पुष्पांजलिर्मया दत्तो गृहाण परमेश्वर:।।

प्रार्थना करें
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रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रैलोक्य रक्षक:।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात।।

।।अनया पूजया श्री गणपति: देवता प्रीयतां न मम।। ऐसा बोलकर हाथ जोड़कर प्रणाम करें।
                                                          श्री गणेश पूजन (सरलतम विधि )
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जो साधकगण समयाभाव के चलते विस्तृत पूजा नही कर सकते उनके लिए समय पूजन विधि बताई जा रही है।

पूजन सामग्री (सामान्य पूजन के लिए )
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शुद्ध जल,गंगाजल, सिन्दूर,रोली,रक्षा, कपूर,घी,दही,दूब,चीनी,पुष्प,पान,सुपारी,रूई,प्रसाद (लड्डू गणेश जी को बहुत प्रिय है)।

विधि👉  गणेश जी की मूर्ती सामने रखकर और श्रद्धा पूर्वक उस पर पुष्प छोड़े यदि मूर्ती न हो तो सुपारी पर मौली लपेटकर चावल पर स्थापित करें और आवाहन मंत्र पढकर अक्षत डालें।

ध्यान श्लोक👉    शुक्लाम्बर धरं विष्णुं शशि वर्णम् चतुर्भुजम् . प्रसन्न वदनं ध्यायेत् सर्व विघ्नोपशान्तये ..

लम्बी सूंड, बड़ी आँखें ,बड़े कान ,सुनहरा सिन्दूरी वर्ण यह ध्यान करते ही प्रथम पूज्य श्री गणेश जी का पवित्र स्वरुप हमारे सामने आ जाता है।सुखी व सफल जीवन  के इरादों से आगे बढऩे के लिएबुद्धिदाता भगवान श्री गणेश के नाम स्मरण से ही शुरुआत  शुभ मानी  जाती है। जीवन में प्रसन्नता और हर छेत्र में सफलता प्राप्त करने हतु श्री गजानन महाराज के पूजन की सरलतम विधि विद्वान पंडित जी द्वारा बताई गयी है ,जो की आपके लिए प्रस्तुत है -प्रातः काल शुद्ध होकर गणेश जी के सम्मुख बैठ कर ध्यान करें और पुष्प, रोली ,अछत आदि चीजों से पूजन करें और विशेष रूप से सिन्दूर चढ़ाएं तथा दूर्बा दल (11 या 21 दूब का अंकुर )समर्पित करें|यदि संभव हो तो फल और मीठा चढ़ाएं (मीठे में गणेश जी को मूंग के लड्डू प्रिय हैं )।

अगरबत्ती और दीप जलाएं और नीचे लिखे सरल मंत्रोंका मन ही मन 11, 21 या अधिक बार जप करें :-

ॐ चतुराय नम:।
ॐ गजाननाय नम:।
ॐ विघ्नराजाय नम:।
ॐ प्रसन्नात्मने नम:।

सामान्य पूजन विधि
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षोडशोपचार पूजन - 
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः ध्यायामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आवाहयामि। ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आसनं। समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः पाद्यं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः।
आचमनीयं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः अर्घ्यं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः पंचामृत स्नानं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः वस्त्र युग्मं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः यज्ञोपवीतं धारयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः  आभरणानि (आभूषण) समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः  गंधं धारयामि। ॐ सिद्धि विनायकाय नमः  अक्षतान् समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः पुष्पैः पूजयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः प्रतिष्ठापयामि और गणेश जी के इन नामों का जप करें।

ॐ गणपतये नमः॥
ॐ गणेश्वराय नमः॥
ॐ गणक्रीडाय नमः॥ ॐ गणनाथाय नमः॥ ॐ गणाधिपाय नमः॥
ॐ एकदंताय नमः॥
ॐ वक्रतुण्डाय नमः॥ॐ गजवक्त्राय नमः॥
ॐमदोदराय नमः॥
ॐ लम्बोदराय नमः॥
ॐ धूम्रवर्णाय नमः॥
ॐविकटाय नमः॥
ॐ विघ्ननायकाय नमः॥ॐ सुमुखाय नमः॥
ॐ दुर्मुखाय नमः॥
ॐ बुद्धाय नमः॥
ॐविघ्नराजाय नमः॥
ॐ गजाननायनमः॥
ॐ   भीमाय नमः॥
ॐ प्रमोदाय नमः ॥
ॐ आनन्दायनमः॥
ॐ सुरानन्दाय नमः॥
ॐमदोत्कटाय नमः॥
ॐहेरम्बाय नमः॥
ॐ शम्बराय नमः॥
ॐ शम्भवे नमः ॥
ॐ लम्बकर्णायनमः ॥
ॐ महाबलाय नमः॥
ॐ नन्दनाय नमः ॥
ॐ अलम्पटाय नमः ॥
ॐ भीमाय नमः ॥
ॐ मेघनादायनमः ॥
ॐ गणञ्जयाय नमः ॥
ॐ विनायकाय नमः॥ॐविरूपाक्षाय नमः ॥
ॐ धीराय नमः ॥
ॐ शूरायनमः ॥
ॐ वरप्रदाय नमः ॥ॐ महागणपतये नमः ॥
ॐ बुद्धिप्रियायनमः ॥ॐ क्षिप्रप्रसादनाय नमः ॥ॐ रुद्रप्रियाय नमः॥ॐ गणाध्यक्षाय नमः ॥ॐ उमापुत्रायनमः ॥
ॐ अघनाशनायनमः ॥ॐ कुमारगुरवे नमः ॥
ॐ ईशानपुत्राय नमः ॥
ॐ मूषकवाहनाय नः ॥
ॐ   सिद्धिप्रदाय नमः॥ॐ सिद्धिपतयेनमः ॥
ॐ सिद्ध्यैनमः ॥ॐ सिद्धिविनायकाय नमः॥
ॐ विघ्नाय नमः ॥
ॐ तुङ्गभुजाय नमः ॥
ॐ सिंहवाहनायनमः ॥ॐ मोहिनीप्रियाय नमः ॥
ॐ कटिंकटाय नमः ॥
ॐराजपुत्राय नमः ॥
ॐशकलाय नमः ॥
ॐ सम्मिताय नमः॥
ॐ अमिताय नमः ॥ॐ कूश्माण्डगणसम्भूताय नमः॥
ॐ दुर्जयाय नमः ॥
ॐ धूर्जयाय नमः ॥
ॐ  अजयाय नमः ॥
ॐभूपतये नमः ॥
ॐ भुवनेशायनमः ॥ॐ भूतानां पतये नमः॥
ॐ   अव्ययाय नमः ॥
ॐ विश्वकर्त्रे नमः ॥
ॐविश्वमुखाय नमः ॥ॐ विश्वरूपाय नमः ॥
ॐ   निधये नमः॥
ॐ घृणये नमः ॥
ॐ कवये नमः ॥
ॐकवीनामृषभाय नमः॥
ॐ ब्रह्मण्याय नमः ॥ॐ ब्रह्मणस्पतये नमः ॥
ॐ ज्येष्ठराजाय नमः ॥
ॐ निधिपतये नमः ॥
ॐ निधिप्रियपतिप्रियाय नमः ॥
ॐ हिरण्मयपुरान्तस्थायनमः ॥ॐ सूर्यमण्डलमध्यगायनमः ॥
ॐकराहतिध्वस्तसिन्धुसलिलाय नमः ॥ॐपूषदन्तभृतेनमः ॥ॐ उमाङ्गकेळिकुतुकिने नमः ॥
ॐ मुक्तिदाय नमः ॥
ॐ कुलपालकाय नमः ॥ॐ किरीटिने नमः ॥
ॐ कुण्डलिने नमः॥
ॐ हारिणे नमः ॥
ॐ वनमालिने नमः ॥
ॐ मनोमयायनमः ॥ॐवैमुख्यहतदृश्यश्रियै नमः॥
ॐ पादाहत्याजितक्षितयेनमः ॥ॐ सद्योजाताय नमः॥ॐ स्वर्णभुजाय नमः ॥
ॐ मेखलिन नमः ॥
ॐ दुर्निमित्तहृते नमः॥ॐदुस्स्वप्नहृते नमः ॥
ॐ प्रहसनाय नमः ॥
ॐ गुणिनेनमः ॥
ॐ नादप्रतिष्ठिताय नमः ॥ॐ सुरूपाय नमः ॥
ॐ सर्वनेत्राधिवासाय नमः ॥
ॐ वीरासनाश्रयाय नमः ॥
ॐ पीताम्बराय नमः ॥
ॐ खड्गधराय नमः ॥
ॐखण्डेन्दुकृतशेखराय नमः ॥ॐचित्राङ्कश्यामदशनायनमः ॥ॐ फालचन्द्राय नमः ॥
ॐ चतुर्भुजाय नमः ॥ॐयोगाधिपाय नमः ॥ॐतारकस्थाय नमः ॥
ॐ पुरुषाय नमः॥
ॐ गजकर्णकाय नमः ॥ॐ गणाधिराजाय नमः ॥ॐविजयस्थिराय नमः ॥
ॐ गणपतये नमः ॥
ॐ ध्वजिने नमः ॥
ॐदेवदेवायनमः ॥ॐ स्मरप्राणदीपकाय नमः ॥
ॐ वायुकीलकायनमः ॥ॐ विपश्चिद्वरदाय नमः ॥
ॐनादाय नमः ॥
ॐ नादभिन्नवलाहकाय नमः ॥ॐ वराहवदनाय नमः॥ॐमृत्युञ्जयाय नमः ॥
ॐ व्याघ्राजिनाम्बराय नमः ॥ॐइच्छाशक्तिधराय नमः॥ॐ देवत्रात्रे नमः ॥
ॐ दैत्यविमर्दनाय नमः ॥ॐ शम्भुवक्त्रोद्भवाय नमः॥ॐ शम्भुकोपघ्ने नमः ॥ॐ शम्भुहास्यभुवे नमः ॥
ॐ शम्भुतेजसे नमः ॥ॐ शिवाशोकहारिणे नमः ॥
ॐ गौरीसुखावहाय नमः ॥ॐ उमाङ्गमलजाय नमः ॥ॐगौरीतेजोभुवे नमः ॥
ॐ स्वर्धुनीभवाय नमः ॥ॐयज्ञकायाय नमः ॥
ॐमहानादाय नमः ॥ॐ गिरिवर्ष्मणे नमः ॥
ॐ शुभाननाय नमः ॥
ॐ सर्वात्मने नमः ॥
ॐसर्वदेवात्मने नमः ॥
ॐ ब्रह्ममूर्ध्ने नमः ॥
ॐककुप्छ्रुतये नमः ॥ॐ ब्रह्माण्डकुम्भाय नमः ॥
ॐ चिद्व्योमफालाय नमः ॥ॐ सत्यशिरोरुहाय नमः ॥
ॐ जगज्जन्मलयोन्मेषनिमेषाय नमः ॥
ॐ अग्न्यर्कसोमदृशेनमः ॥ॐ गिरीन्द्रैकरदाय नमः ॥
ॐ धर्माय नमः ॥
ॐ धर्मिष्ठाय नमः ॥
ॐ सामबृंहिताय नमः ॥
ॐ ग्रहर्क्षदशनाय नमः ॥
ॐ वाणीजिह्वाय नमः ॥ॐवासवनासिकाय नमः ॥
ॐ कुलाचलांसाय नमः ॥
ॐ सोमार्कघण्टाय नमः ॥ॐ   रुद्रशिरोधराय नमः ॥
ॐ नदीनदभुजाय नमः ॥ॐ सर्पाङ्गुळिकाय नमः ॥
ॐ तारकानखाय नमः ॥
ॐ भ्रूमध्यसंस्थतकराय नमः ॥
ॐ ब्रह्मविद्यामदोत्कटायनमः   ॥ॐ व्योमनाभाय नमः॥
ॐ श्रीहृदयाय नमः ॥ॐ ॐ मेरुपृष्ठाय नमः ॥
ॐ अर्णवोदराय नमः ॥
ॐ कुक्षिस्थयक्षगन्धर्वरक्षःकिन्नरमानुषाय नमः।।

उत्तर पूजा👉
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः  धूपं आघ्रापयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः दीपं दर्शयामि। ॐ सिद्धि विनायकाय नमः नैवेद्यं निवेदयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः  फलाष्टकं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः कर्पूर नीराजनं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः मंगल आरतीं समर्पयामि।
ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पांजलि समर्पयामि।

यानि कानि च पापानि जन्मान्तर कृतानि च ।
तानि तानि विनश्यन्ति प्रदक्षिण पदे पदे।।

प्रदक्षिणा नमस्कारान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . समस्त राजोपचारान् समर्पयामि . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः मंत्र पुष्पं समर्पयामि।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।।

प्रार्थनां समर्पयामि।

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनं।
पूजाविधिं न जानामि क्षमस्व पुरुषोत्तम।

क्षमापनं समर्पयामि।

ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुनरागमनाय च।।

श्री गणेश जी की आरती
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जय गणेश,जय गणेश,जय गणेश देवा।
माता जाकी पारवती,पिता महादेवा।
एक दन्त दयावंत,चार भुजा धारी।
मस्तक पर सिन्दूर सोहे,मूसे की सवारी।जय .......

अंधन को आँख देत,कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत,निर्धन को माया। जय ......

हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे,संत करें सेवा। जय .......

दीनन की लाज राखो,शम्भु सुतवारी।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी। जय .......
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                        प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

गणेश वंदना २०१९

प्रथम धरे जो ध्यान तुमारे
            तिसके पूरण कारज सारे।।

लंबोदर गजवदन मनोहर
            कर त्रिशूल परशू वर धारे।।

ऋद्धिसिद्धि दोऊ चमर ढुलावे
            मूषकवाहन परम सुखारे।।

ब्रह्मादिक सुर ध्यावत मनमें
     ऋषिमुनिगण सब दास तुमारे।।

"खेमेश्वर" सहाय करो नित
          भक्तजनों  के तुम रखवारे।।

जय गणेश गणनाथ दयानिधि
        सकल विघन कर दूर हमारे।।

             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
                   डिंडोरी - मुंगेली
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...