Monday, October 7, 2019

विजयादशमी "दशहरा"

क्यों मनाते हैं दशहरा, जानें इसका महत्व
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आज यानी 8 अक्टूबर को विजयदशमी पर्व मनाया जाएगा।आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मंगलवार को दशहरा यानी विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा।
आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि मंगलवार को दशहरा यानी विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा। यूं तो दशमी तिथि 07 अक्टूबर की दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से शुरू हुई थी जो 08 अक्टूबर की दोपहर 02 बजकर 50 मिनट तक रहेगी। इसके साथ ही पूरा दिन पार करके रात के 8 बजकर 12 मिनट तक सारे काम बनाने वाला रवि योग रहेगा । इसी दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ‘विजयदशमी’ का त्योहार मनाया जायेगा। पुराणों के अनुसार रावण पर भगवान श्री राम की जीत के उपलक्ष्य में विजयदशमी का ये त्योहार मनाया जाता है। आज के दिन अपना कोई खास काम करने से आपकी जीत सुनिश्चित होती है। इस बार विजयदशमी या दशहरा 8 अक्टूबर, मंगलवार को है।

आज बेहद शुभ दिन
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विजयदशमी साल की तीन सबसे शुभ तिथियों में से एक है। अन्य दो तिथियां चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा और कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा है। हेमाद्रि के व्रत भाग-1 और पृष्ठ- 970 से 973 तक, निर्णयसिन्धु के पृष्ठ- 69 से 70, पुरुषार्थ चिन्तामणि के पृष्ठ- 145 से 148, व्रतराज के पृष्ठ- 359 से 361, धर्मसिन्धु के पृष्ठ-96 आदि में विजयदशमी का विस्तृत वर्णन किया गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विजयदशमी के दिन अगर श्रवण नक्षत्र हो तो ये तिथि और भी शुभ हो जाती है और इस दिन भी श्रवण नक्षत्र भी है।

दशहरा का महत्व
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यह त्यौहार भगवान श्री राम की कहानी तो कहता ही है जिन्होंने लंका में 9 दिनों तक लगातार चले युद्ध के पश्चात अंहकारी रावण को मार गिराया और माता सीता को उसकी कैद से मुक्त करवाया। वहीं इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था इसलिए भी इसे विजयदशमी के रुप में मनाया जाता है और मां दूर्गा की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दूर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, भगवान श्री राम की परीक्षा लेते हुए पूजा के लिए रखे गये कमल के फूलों में से एक फूल को गायब कर दिया। चूंकि श्री राम को राजीवनयन यानि कमल से नेत्रों वाला कहा जाता था इसलिये उन्होंनें अपना एक नेत्र मां को अर्पण करने का निर्णय लिया ज्यों ही वे अपना नेत्र निकालने लगे देवी प्रसन्न होकर उनके समक्ष प्रकट हुई और विजयी होने का वरदान दिया। माना जाता है इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया। भगवान राम की रावण पर और माता दुर्गा की महिषासुर पर जीत के इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की विजय के रुप में देशभर में मनाया जाता है।
देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे मनाने के अलग अंदाज भी विकसित हुए हैं। कुल्लू का दशहरा देश भर में काफी प्रसिद्ध है तो पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा सहित कई राज्यों में दुर्गा पूजा को भी इस दिन बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।

दशहरा मनाने का कारण
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पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान 14 वर्षों के वनवास में थे तो लंकापति रावण ने उनकी पत्नी माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका की अशोक वाटिका में बंदी बना कर रखा लिया था। श्रीराम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान और वानर सेना के साथ रावण की सेना से लंका में ही पूरे नौ दिनों तक युद्ध लड़ा। मान्यता है कि उस समय प्रभु राम ने देवी माँ की उपासना की थी और उनके आशीर्वाद से आश्विन मास की दशमी तिथि पर अहंकारी रावण का वध किया था।

                        प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Sunday, October 6, 2019

हरसिंगार/पारिजात का महत्व

*हरसिंगार एक दिव्य वृक्ष माना जाता है। हरसिंगार जिसे पारिजात भी कहते हैं, एक सुन्दर वृक्ष होता है, जिस पर सुन्दर व सुगन्धित फूल लगते हैं। पारिजात का वृक्ष दस से पन्द्रह फीट ऊँचा होता है। हिन्दू धर्म में इस वृक्ष को बहुत ही ख़ास स्थान प्राप्त है।*

*पौराणिक उल्लेख*

एक मान्यता के अनुसार परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुई थी, जिसे इन्द्र ने अपनी वाटिका में लगाया था। हरिवंशपुराण में एक ऐसे वृक्ष का उल्लेख मिलता है जिसको छूने से देव नर्तकी उर्वशी की थकान मिट जाती थी । एक बार नारद मुनि इस वृक्ष से कुछ फूल इन्द्र लोक से लेकर कृष्ण के पास आये । कृष्ण ने वे फूल अपनी पत्नी रुक्मणी को दे दिये थे । यह जानकर सत्यभामा को क्रोध आ गया और उन्होंने ने कृष्ण के पास वृक्ष की मांग की ।

*भगवान हरि का श्रृंगार*

हरसिंगार या हरिश्रृंगार का पुष्प भगवान हरि के श्रृंगार एवं पूजन में प्रयोग किया जाता है, इसलिए इस मनमोहक व सुगंधित पुष्प को ‘हरसिंगार’ के नाम से जाना जाता है । ऐसा कहा जाता है कि श्री कृष्ण इस दिव्य वृक्ष को स्वर्ग से धरती पर लाए थे और जब कृष्ण परिजात का वृक्ष ले जा रहे थे तब देवराज इन्द्र ने वृक्ष को यह श्राप दे दिया कि इस पेड़ के फूल दिन में नहीं खिलेंगे । हरिवंश-पुराण के अनुसार, यह दिव्य वृक्ष इच्छापूरक भी है।

*’पारिजात’ नाम की एक राजकुमारी*

मान्यता यह भी है कि ‘पारिजात’ नाम की एक राजकुमारी हुआ करती थी, जिसे भगवान सूर्य से प्रेम हो गया था। लेकिन भगवान सूर्य ने पारिजात के प्रेम कों स्वीकार नहीं किया, जिससे खिन्न होकर राजकुमारी पारिजात ने आत्महत्या कर ली। जिस स्थान पर पारिजात की क़ब्र बनी, वहीं से पारिजात नामक वृक्ष ने जन्म लिया। लेकिन सूर्य उदय के साथ ही पारिजात की टहनियाँ और पत्ते खिल जाते हैं

*बाराबंकी का पारिजात वृक्ष*

कहा जाता है कि जब पांडव पुत्र माता कुन्ती के साथ अज्ञातवास व्यतीत कर रहे थे, तब उन्होंने ही सत्यभामा की वाटिका में से परिजात को लेकर बोरोलिया गाँव में रोपित कर दिया। पारिजात वृक्ष आज भी उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के अंतर्गत रामनगर क्षेत्र के गाँव बोरोलिया में मौजूद है।

*देवी लक्ष्मी को प्रिय*

धन की देवी लक्ष्मी को पारिजात के पुष्प प्रिय हैं। उन्हें प्रसन्न करने में भी पारिजात वृक्ष का उपयोग किया जाता है। कहा जाता है के, होली, दीवाली, ग्रहण, रवि पुष्प तथा गुरु पुष्प नक्षत्र में पारिजात की पूजा की जाए तो उत्तम फल प्राप्त होता है।

🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻
                        प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
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त्योहारों के प्रति भावना बदलो

*एक अपील🙏🏻🙏🏻👇🏻👇🏻*

करवा चौथ आने वाली हैं !!
आजकल.. एक बड़ा खतरनाक प्रचलन चला है हिन्दुओं में..,
वह यह कि.. जैसे ही कोई हिन्दू त्यौहार आने वाला होता है, हम हिन्दू खुद ही.. उस त्यौहार को ऐसे पेश करते हैं जैसे वो.. उनके ऊपर बोझ है उनका भद्दा मजाक.. फेसबुक और व्हाट्सएप पर बनाते हैं , और अपने ही त्यौहारों की..
पवित्रता गम्भीरता.. खत्म कर देते हैं !!

देखिए क्या लिखा है,, ~

आदरणीय पति देव !
आपको सूचित किया जाता है कि आपके लम्बी आयु की वैलिडिटी खत्म होने वाली है और रिचार्ज की तिथि आ गयी है..!

17 October 2019 को.. स्पेशल करवाचौथ रिचार्ज करवाकर.. लंबी उम्र पाएं।

पत्नी के त्याग का मजाक बनाकर.. पत्नी को लालची और.. रिशवतखोर बताने लगते हैं !

हिन्दू धर्म की विडंबना देखिए :-

जन्माष्टमी आयी तो श्री कृष्ण को टपोरी तडीपार और ना जाने क्या-क्या कहा!

गणेश जी आये तो उनका भी मज़ाक़ बनाया!

नवरात्रि आयी तो ये चुटकुला आया "नौ दिन दुर्गा-दुर्गा फिर मुर्गा-मुर्गा..."

विजयादशमी पर श्री राम-माता सीता और रावण पर चुटकुले चले!

अब दिवाली पर भी कुछ ना कुछ.. आ जायेगा!

कभी सोचा है कि वास्तव में कौन है जो.. ये सब पोस्ट कर रहा है???
ये कभी किसी ने भी जानने की कोशिश नहीं की..! बस अपने मोबाइल पर आया तो बिना सोचे समझे फॉरवर्ड करने की वही.. भेड़ चाल चालू..!!

एक हमारा मीडिया.. पहले ही हिन्दू त्यौहारों के पीछे पड़ा है-

होली पर पानी बर्बाद होता है लेकिन.. ईद पर जानवरों की क़ुरबानी धर्म है!

दिवाली पर पटाके छोड़ना प्रदूषण है पर ईसाई नव वर्ष पर आतिशबाजी जश्न है!

नवरात्री पर 10 बजे के बाद गरबा ध्वनि प्रदूषण हो जाती है, वहीं मोहरम की रात ढोल ताशे कूटना और नववर्ष की रात जानवरों की तरह 12 बजे तक बाजे बजाना धर्म है!!!

करवा चौथ और नाग पंचमी पाखंड है वहीं ईसा का मरकर पुनः लौटना गुड फ्राइडे वैज्ञानिक है!!

हिन्दुओं को यह लगता है कि अपने पर्व का मज़ाक़ बनाना सही है तो.. इससे बड़ी लानत क्या होगी??

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इस तरह के मैसेज बनाने वाले.. हिन्दू विरोधी तत्व.. जानते हैं कि.. हम हिन्दू.. अपने धर्म को लेके सजग नहीं हैं और.. एडवांस्ड दिखने के चक्कर में.. कुछ भी फॉरवर्ड कर देंगे.. तभी ये ऐसे मैसेज बनाकर सर्कुलेट करते हैं!!

किसी और.. धर्म के लोगों को.. उनके धर्म के जोक्स पढ़ते या फॉरवर्ड करते देखा है क्या ? उनको तो छोड़ो, आप भी उनके धर्म के जोक्स फॉरवर्ड करने से पहले 10 बार सोचते हो कि.. ये मैसेज आगे भेजूँ या नहीं?? तो हिन्दू धर्म का मज़ाक़ उड़ाते शर्म नहीं आती..??

मेरा करबद्ध निवेदन है 🙏 कि.. *अपने हाथों से अपने धर्म का अपमान ना करें..!!*

कृपया अपने सभी मित्रो को.. अपने ही धर्म का.. मज़ाक ना उडाने की सलाह दें || 🙏

प्रभु श्री कृष्ण नें कहा था ~  "यदि आप धर्म की रक्षा करोगे तो.. धर्म भी आपकी रक्षा करेगा ||

     *🚩 जय श्री राम 🙏🚩*

🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
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आज का सुविचार

*🚩✍️मेरी कलम से*
*🚩बुढापे मे आपको रोटी, आपकी औलाद नहीं.*
*आप के दिये हुए संस्कार खिलाएँगे.*
🚩🙏🙏🚩

🦚🦚🦚🐚🐚🐚🚩🚩🚩

नवम दुर्गा मां सिद्धिदात्री

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*नवम् दुर्गा : श्री सिद्धिदात्री*

“सिद्धगंधर्वयक्षादौर सुरैरमरै रवि।
सेव्यमाना सदाभूयात सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥“

श्री दुर्गा का नवम् रूप श्री सिद्धिदात्री हैं। ये सब प्रकार की सिद्धियों की दाता हैं, इसीलिए ये सिद्धिदात्री कहलाती हैं। नवरात्रि के नवम दिन इनकी पूजा औरआराधना की जाती है।
सिद्धिदात्रीकी कृपा से मनुष्य सभी प्रकार की सिद्धिया प्राप्त कर मोक्ष पाने मे सफल होता है। मार्कण्डेयपुराण में अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व एवं वशित्वये आठ सिद्धियाँ बतलायी गयी है। भगवती
सिद्धिदात्री उपरोक्त संपूर्ण सिद्धियाँ अपने उपासको को प्रदान करती है। माँ दुर्गा के इस अंतिम स्वरूप की आराधना के साथ ही नवरात्र के अनुष्ठान का समापन हो जाता है।

इस दिन को रामनवमी भी कहा जाता है और शारदीय नवरात्रि के अगले दिन अर्थात दसवें दिन को रावण पर राम की विजय के रूप में मनाया जाता है। दशम् तिथि को बुराई पर अच्छाकई की विजय का प्रतीक माना जाने वाला त्योतहार विजया दशमी यानि दशहरा मनाया जाता है। इस दिन रावण, कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतले जलाये जाते हैं।

दुर्गा पूजा नवरात्री नवमी पूजा - नवमी तिथि सिद्धिदात्री की पूजा

माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री हैं, नवरात्र-पूजन के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है. नवमी के दिन सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. दुर्गा मईया जगत के कल्याण हेतु नौ रूपों में प्रकट हुई और इन रूपों में अंतिम रूप है देवी सिद्धिदात्री का. देवी प्रसन्न होने पर सम्पूर्ण जगत की रिद्धि सिद्धि अपने भक्तों को प्रदान करती हैं. देवी सिद्धिदात्री का रूप अत्यंत सौम्य है, देवी की चार भुजाएं हैं दायीं भुजा में माता ने चक्र और गदा धारण किया है, मां बांयी भुजा में शंख और कमल का फूल है.
मां सिद्धिदात्री कमल आसन पर विराजमान रहती हैं, मां की सवारी सिंह हैं. देवी ने सिद्धिदात्री का यह रूप भक्तों पर अनुकम्पा बरसाने के लिए धारण किया है. देवतागण, ऋषि-मुनि, असुर, नाग, मनुष्य सभी मां के भक्त
हैं. देवी जी की भक्ति जो भी हृदय से करता है मां उसी पर अपना स्नेह लुटाती हैं. मां का ध्यान करने के लिए आप

“सिद्धगन्धर्वयक्षाघरसुरैरमरैरपि सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी..” इस मंत्र से स्तवन कर सकते हैं.

*सिद्धि के प्रकार :-*

पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इन्हीं की कृपा से सिध्दियों को प्राप्त किया था तथा इन्हें के द्वारा भगवान शिव को अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त हुआ. अणिमा, महिमा,गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व ये आठ सिद्धियां हैं जिनका मार्कण्डेय पुराण में उल्लेख किया गया है
इसके अलावा ब्रह्ववैवर्त पुराण (Brahmvaivart Puran) में अनेक सिद्धियों का वर्णन है जैसे 1. सर्वकामावसायिता 2. सर्वज्ञत्व 3. दूरश्रवण 4. परकायप्रवेशन 5. वाक्‌सिद्धि 6. कल्पवृक्षत्व 7. सृष्टि 8. संहारकरणसामर्थ्य 9. अमरत्व 10 सर्वन्यायकत्व. कुल मिलाकर 18 प्रकार की सिद्धियों का हमारे शास्त्रों में वर्णन मिलता है. यह देवी इन सभी सिद्धियों की स्वामिनी हैं. इनकी पूजा से भक्तों को ये सिद्धियां प्राप्त होती हैं.

*नवमी देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि :-*

सिद्धियां हासिल करने के उद्देश्य से जो साधक भगवती सिद्धिदात्री की पूजा कर रहे हैं उन्हें नवमी के दिन निर्वाण चक्र का भेदन करना चाहिए. दुर्गा पूजा में इस तिथि को विशेष हवन किया जाता है. हवन से पूर्व सभी देवी दवाताओं एवं माता की पूजा कर लेनी चाहिए. हवन करते वक्त सभी देवी दवताओं के नाम से हवि यानी अहुति देनी चाहिए. बाद में माता के नाम से अहुति देनी चाहिए.
दुर्गा सप्तशती के सभी श्लोक मंत्र रूप हैं अत:सप्तशती के सभी श्लोक के साथ आहुति दी जा सकती है. देवी के बीज मंत्र “ऊँ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमो नम:” से कम से कम 108 बार हवि दें.

*माँ सिद्धिदात्री के मंत्र :-*

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।

*देवी सिद्धिदात्री की ध्यान :-*

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥

पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

*सिद्धिदात्री की स्तोत्र पाठ :-*

कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥

परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिध्दिदात्री नमोअस्तुते॥

*देवी सिद्धिदात्री की कवच :-*

ओंकारपातु शीर्षो मां ऐं बीजं मां हृदयो। हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो॥ ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं मां नेत्र घ्राणो।कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै मां सर्व वदनो॥भगवान शंकर और ब्रह्मा जी की पूजा पश्चात अंत में इनके नाम से हवि देकर आरती और क्षमा प्रार्थना करें.हवन में जो भी प्रसाद चढ़ाया है उसे बाटें और हवन की अग्नि ठंडीको पवित्र जल में विसर्जित कर दें अथवा भक्तों के में बाँट दें. यह भस्म- रोग, संताप एवं ग्रह बाधा से आपकी रक्षा करती है एवं मन से भय को दूर रखती है.

नवरात्री में दुर्गा सप्तशती पाठ किया जाता हैं ।

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आज का सुविचार

*अजीब खेल है उस परमात्मा का*
         *लिखता भी वही है*
          *मिटाता भी वही है*
*भटकाता है राह तो*
*दिखाता भी वही है*
        *उलझाता भी वही है*
        *सुलझाता भी वही है*
*जिंदगी की मुश्किल घड़ी में*
*दिखता भी नहीं मगर*
        *साथ देता भी वही हैं*
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*🙏   सुप्रभात🙏*

आज का संदेश

*जब आँसू आपका हो और*
*पिघलता कोई और हो ..*

*तब ये समझ लेना की वो रिश्ता*
*उच्च से उच्चकोटि का है ...*

*फिर चाहे वो रिश्ता प्रेम का हो या मित्रता का...!!!*
😘😘😘
*सुप्रभात*
।।। *जय सियाराम* ।।।

माता पिता के चरण स्पर्श से होता है संतान के संपूर्ण अमंगलों नाश

माता पिता के चरण स्पर्श से होता है संतान के संपूर्ण अमंगलों नाश : पं.खेमेश्व माता-पिता और बच्चों के बीच का रिश्ता हर...