तेरी सूरत पे जब जब हमनें ,,,,,,,,,,,,,,,,!
तेरी सूरत पे जब जब हमनें मन अपना हारा |
तब तब आगे बढ़ के दिया तुमनें हमें सहारा |
तेरी सूरत पे जब जब हमनें ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!
जब तेरा सम्बल पाया दूर गया दोष विकार |
अंतस से निकाला उजियारा हटा अंधियार |
याद नहीं तेरी छटा को हमने कब था निहारा |
तेरी सूरत पे जब जब हमनें ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,!
दृष्टि समाई है अगम अगोचर छटा में अपार |
निराशा ढली जब चेतन में आया उजियार |
तू तब आया जब जब हमने तुझको पुकारा |
तेरी सूरत पे जब जब हमने ,,,,,,,,,,,,,,.,
ये सांवली छटा दुनिया में सबसे मस्तानी है |
इसीलिए तो सारी दुनिया तेरी ही दिवानी है |
मेरे पथ जब जब आए कांटे तू ने उसे टारा |
तेरी सूरत पे जब जब हमने ,,,,,,,,,,,,,,,!
तेरे मेरे मध्य नाम का अंतर नही रह गया |
इसीलिए दुनिया में मेरा हर काम सध गया |
तेरी है सारी दुनिया कैसे कहूं तू है हमारा |
तेरी सूरत पे जब जब हमनें ,,,,,,,,,,,,,,!
"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057