Monday, May 11, 2020

पीहू पीहू पपीहा बोले, (गीत)


पीहू पीहू पपीहा बोले,
कोयल करे शोर।
नैना तक तक कटी रतिया,
जागी रे भोरे भोर।
आरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।

लागी लगन है ये,
रूहों का मिलन है ये।
सपनों की बगिया में,
इश्क़ का चलन है ये।
आरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।

पिहू..............................

दिल है पुकारे आ,
मन मोरा बहला जा।
जियरा धड़के ऐसे सैयां,
बाबरी बन तिनका सा।
ओरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।

पीहू...............................

कहूँ तोहसे कैसे के,
दर्द दिल का सेह सेह के।
जिया अब न जाये मोहके,
संग अपने जीवन कटने दे।
ओरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।

पीहू..............................

किया है प्यार तोहसे करूं,
नित हां अपना मनवा गढूं।
वफ़ा के निखरे निखरे ढंग,
दिल से एकदूजे का पढलूँ।
ओरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।

पीहू..................................

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

निगाहों के हमने कई तक़रार देखे हैं!

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निगाहों के हमने कई तक़रार देखे हैं!
उलझी सी चाहत कहीं प्यार देखे हैं।

अदाओं के पहलू और दायरे मन के!
टूटते भी आरजू यहां हजार देखे हैं।

जानते हैं इरादे लब ख़ामोश रहे यूँ!
मतलब के लगते हसीं बाजार देखे हैं।

चाहता है जमाना क्या हालात ऐसे में!
गूंजने की आवाजें दूर आसार देखे हैं।

फिरते यूँ चलते हर आहट पल के!
फासलों से छंटते यहां दीदार देखे हैं।

तबाही के मंजर जब अपने लाये तो!
दर्मियां में गिरते कई दीवार देखे हैं।

निगाहों के हमने कई तक़रार देखे हैं!
उलझी सी चाहत कहीं प्यार देखे हैं।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

करतें हैं प्यार करते हैं,हां तुमसे प्यार करते हैं।


करतें हैं प्यार करते हैं ,
हाँ तुमसे प्यार करते हैं।
एक पल भी चैन न पाऊं,
बिन तेरे मैं मर जाऊं।
करतें हैं इंतजार करते हैं,
हां तेरा इंतजार करते हैं।

करतें हैं प्यार करते हैं,
हां तुमसे प्यार करते हैं।

धड़के मेरा दिल,
लगे जीना है मुश्किल।
है तस्वीर तेरी आँखों में,
ढूंढे चाहत की मंजिल।
करतें हैं इजहार करते हैं,
हां तुझसे इजहार करते हैं।

करतें हैं प्यार करते हैं,
हां तुमसे प्यार करते हैं।

आ जाओ गले लगाओ,
न रूठो दिल मिलाओ।
करतें हैं इश्क़ करेंगे,
मेरे रूहों में समा जाओ।
करतें हैं इकरार करते हैं,
हां दिलसे इकरार करते हैं।

करतें हैं प्यार करते हैं,
हां तुमसे प्यार करते हैं।

पूछे जो कोई हमसे,
संच कहूँ कसम से।
नाम तेरा ले ले कर,
मन ही मन मेरे दिलवर।
करतें हैं पुकार करते हैं,
हां तुझको पुकार करते हैं।

करतें हैं प्यार करते हैं,
हां तुमसे प्यार करते हैं।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

परछांई तेरे प्यार की मुझपे जो पड़ी है!

परछांई   तेरे   प्यार  की   मुझपे  जो  पड़ी  है!
गुमसुम   हुआ   इश्क़   का  पहरे  की  घड़ी है।

गुनगुना   उठा   नगमा  ये  सोंचते  ही  लब से!
महफ़िल सजी आशिकी की रिश्ते की कड़ी है।

मचलते   रहे  हमारे  यूँ  आरजू  भी  दिल  का!
मेहमान  हुए  दिलके  तो  सपने  भी  जुड़ी  है।

हसरत  खिले  चाहत  का  मंजर  भी  जवां है!
निखरता  रहा  सूरत  भी  नजरे  जा  लड़ी  है।

धड़काये  दिल  बेचैन  हूं  मिलने  को आप से!
उल्फत  करें   आइये  यूँ  लुभाने  पे  अड़ी  है।

परछांई   तेरे   प्यार  की   मुझपे  जो  पड़ी  है!
गुमसुम   हुआ   इश्क़   का  पहरे  की  घड़ी है।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

अपनी आंखों में आपको बसाया तो है!


अपनी आंखों में आपको बसाया तो है!
मिलाके  मन  को  इश्क़  जताया तो है।

प्यार  हुआ  के  खुमार  चाहत  की  है!
नजरें  मिला  के  हमने  बताया  तो  है।

छुपाऊं  पर   ये   छुपाये   छुपती  नहीं!
असर  रूहों  को  हमारे जगाया  तो है।

सताये  हम  हैं  सितम  आपकी भी है!
करीब  आकर  फिर  भी मनाया तो है।

साथियां  आ  रह  ए  उल्फत  की चुनें!
दिलसे  दिल  को आपसे लगाया तो है।

अपनी आंखों में आपको बसाया तो है!
मिलाके  मन  को  इश्क़  जताया तो है।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

सुनते ही तेरी आहट दिल शोर करता है!


सुनते  ही  तेरी  आहट  दिल शोर करता है!
उल्फत के लिये चाहत तेरी  ओर करता है।

धड़क ही जाये अक्सर दिल तेरे फसाने से!
हसरत से जब पलभर कभी गौर करता है।

कहिये  के  क्यूं  बेताब  मन आहें  भरते हैं!
जताने को तो अहद ए वफ़ा ज़ोर करता है।

फिसल के कैसे संभले हम आके समझा दे!
कसम है  बता  इतना  सदा  दौर  करता है।

इश्क़  से किस कदर कैसे  रहें  फासले   में!
क़यास है चाह अपना मन विभोर करता है।

सुनते  ही  तेरी  आहट  दिल शोर करता है!
उल्फत के लिये चाहत तेरी  ओर करता है।।

          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

खुश है अपनों से भी गैरों से जताना आये।1।

2122-1122-1122-22

जिन को हालात पे जीने का बहाना आये!
खुश है अपनों से भी गैरों से जताना आये।1।

चलते जातें हैं यूँ राहों में बढ़कर फिर भी!
डगमगाते तो हैं कदमों को दबाना आये।2।

दिल को समझाए ऐ दिल तूँ भी तो ढलते जाओ!
इससे पहले के गम को ले के फसाना आये।3।

जिन के यादों में हूँ खोया वो ना समझा जाना!
पल को हम भी जी लें जीभर वो जमाना आये।4

किस को किस कदर से चाहें कहें अपना साथी!
हमने हर पल ही दूआ की मनाना आये।5।

जिन को हालात पे जीने का बहाना आये!
खुश है अपनों से भी गैरों से जताना आये।1।


          ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
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न्यू २

प्रति मां. मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी रायपुर , छत्तीसगढ़ शासन विषय : आर्थिक सहायता,आवास, तथा आवासीय पट्टा दिलाने बाबत् आदरणीय महोदय,   ...