पीहू पीहू पपीहा बोले,
कोयल करे शोर।
नैना तक तक कटी रतिया,
जागी रे भोरे भोर।
आरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।
लागी लगन है ये,
रूहों का मिलन है ये।
सपनों की बगिया में,
इश्क़ का चलन है ये।
आरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।
पिहू..............................
दिल है पुकारे आ,
मन मोरा बहला जा।
जियरा धड़के ऐसे सैयां,
बाबरी बन तिनका सा।
ओरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।
पीहू...............................
कहूँ तोहसे कैसे के,
दर्द दिल का सेह सेह के।
जिया अब न जाये मोहके,
संग अपने जीवन कटने दे।
ओरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।
पीहू..............................
किया है प्यार तोहसे करूं,
नित हां अपना मनवा गढूं।
वफ़ा के निखरे निखरे ढंग,
दिल से एकदूजे का पढलूँ।
ओरे साजन ओ मोरे साजन आ,
साजन आ ओरे साजन आ।
पीहू..................................
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057