*समय बड़ हे बलवान*
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ ७८२८६५७०५७
टिक न सके एखर आगू, बड़े ले बड़े धनवान………………
समय बीत जाही फेर, तुमन बड़ पछताहू
एतका सुघर समय भला, तुमन दूबारा कहां ले लाहू
समय बीत जाथे तव मनखे बहुत पछताथे भाई………………
व्यर्थ बिताये समय ल फेर, कउन कहाँ कब पाथे भाई
जे नि पहिचाने इहां समय के मोल………………
कर नईं पाथे कोनो भी अच्छा काम
नई कर पावय उन, जग में ऊँचा अपन तो नाम………………
कहूं जीनगी में कुछ करना हे तव………………
सबले आगू बढ़ना हे तव, समय के महतम ला पहिचान
अऊ बढ़ावव अऊ अपन तो मान……………….
काबर के संगी सबले ,समय हे बड़ बलवान..!!!
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