Monday, July 2, 2018

ओ नान्हेंपन कहां ले पांव

ओ दिन घलो का दिन रहिस
मोर बचपन के!
बेमची बेमचा ल कूदावन, (मेंढक)
अऊ तहा घर घूंदिया बनावन।
खाले खुच में कई बार तो
अपने घलो बिहा रचावन।।
लुकउल छुवउल के रेंधी दांव,
संगी आथे सुरता ओ
ना.न्हें.प.न. कहां ले पांव
मैं ओ नान्हेंपन कहां ले पांव...!!!
-- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़

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