हमला सुन देश के ऊपर,
शस्त्र उठा चले गये जो
न मौत का था गम जिनको,
लहू धरती को दे गये जो,
था कफन सिर में छाया हुआ,
दिल में राष्ट्रप्रेम भर लिए जो,
शत्रुओं को अपनी हुंकार से,
राख में ध्वस्त कर गये जो,
लौटे थे गाथा वीरता का लेकर,
कुछ जान देश पर दे गये जो,
भयभीत न होवे देश के लोग,
छाप सरहद को दे गये जो,
कैसे कर्ज चुकाएं उनका अब,
सदा सुरक्षा हमें दे गये जो,
मैं नित नित शिश झुकाऊं
कारगिल में विजय दे गये जो।।
🇮🇳 वंदे मातरम् 🇮🇳
🇮🇳 जय मां भारती 🇮🇳
✍ पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी ✍
मुंगेली छत्तीसगढ़
7828657057
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