*समय अगोरा नि करय भाई*
रचना:- पं.खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 8120032834
हर कोनो अगोरा करथे,फेर समय अगोरा नि करय भाई
चूक गे तहन ओ बेरा कभू फेर लहूट के नई आवय भाई
जेन समय ला बर्बाद करथें, उंखर जीनगी हो जाथे दुखदाई
जेन पढ़इया लइका चूक जथें, उन बिकट पछताथें भाई
जे किसनहा कहूं चूक जाथे ते, वोे भूख में मरथें भाई
जे जमींदार कहूं चूक जाथ ते, भिख मांगे करथें भाई
जेन एखर संग मे चलथे वो ही, हरदम खुश तो होथे भाई
समय के उपयोग करइया मन, कमाल कर जाथें भाई
गरीब एखर सदुपयोग करथें, उन अमीर बन जाथे भाई
पढ़इया जंगल ले नि चुके तो, सफलता के नवा कहनी लिखथें भाई
जेन किसान नई चुके तव, अन्न ले ओखर घर भर जाथे भाई
जेनला जीनगी के रीत पता हे, वो कभू अपन समय नइ तो गंवाय भाई
एखर सेती काहथंव…....
हर कोनो अगोरा करथे,फेर समय अगोरा नि करय भाई
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