छेड़खानी का विरोध जो करती हैं, बच्चियां,
दरिंदगी ये अपना उनपे ही बरसाते हैं।
अय्यासी पूरी जो ये,नहीं करती हैं, बच्चियां,
सड़कों पे जिंदा भी, जलायी ये ही जाती हैं।।
कुछ खास नहीं किया था, सर्वज्ञाता रावण ने,
पुतला फिर भी तो ये उन्हीं का जलाते हैं।
दूसरों की बहन,बेटी खूद ही है छेड़ते,और,
सरकार अपनी ये,नारी सुरक्षा,की बताती हैं।।
अब ऐसा लगता है,संविधान में नई धारा लिख,
एक नया इतिहास अब तो बनाना होगा।
बलात्कारियों को भी खुलेआम धिक धिक,
अग्नि कुण्ड में अब तो जलाना होगा।।
आंचल पीछे छुपी ममता,अनल रूप धर,
कालिका रूप अब तुम्हीं को जगाना होगा।
समाज, नेता, कानून किसी पे भरोसा न कर,
चण्डी बन इनके अस्तित्व को मिटाना होगा।।
✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍
मुंगेली-छत्तीसगढ़
८१२००३२८३४
७८२८६५७०५७
No comments:
Post a Comment