जब से उनके सामने, मुझसे कोई और भी मिलने लगे हैं,
कल तक मानते जो अपने थे वो ही दूरियां बढ़ाने लगे हैं।
लोगों के दिल में, मोहब्बत हमारी जो , कुछ छपने लगे हैं,
बू आ रही है,दूर तलक,क्या,सनम भी हमसे जलने लगे हैं।
©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
          मुंगेली - छत्तीसगढ़
           ७८२८६५७०५७
 
 
No comments:
Post a Comment