Saturday, September 15, 2018

सांबा के जांबाज शेरों को समर्पित

दिन तीन में तेरह आतंकी,हिन्द वीरों ने मार गिराए हैं।
जहां छायी हुई रहती थी,वो आतंक की रात मिटाए हैं।।

आज फिर से उबाल रक्त में,आकर सिंहों ने गुर्राया है।
मां भारती के लिए शपथ फिर,ऐ वादों को निभाया है।।

ना हुआ कोई,न होने वाला,भारत को जो ललकार सके।
होगी हरदम आतंक की कीमत, जैसे भाव भाजी के टके।।

सदा डटे थे डटे रहेंगे,क्षमता न किसी में जो ये बंध रूकें।
सीना चीर के रख देंगे सदा, लाज बस  कि तिरंगा न झूंके।।

शांत है,तो सोया न समझो, कर शिकार रक्त भी चख लेंगे।
गर नजर गलत वतन पे मेरी,आंखे नोच मिटा के रख देंगे।।

अभी समय जाओ सुधर,नही शिशुपाल से अलग धड़ कर देंगे।
गर अब भी बाज न आओगे, हम कराची भी छीन के रख लेंगे।।

          ©✍पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी✍®
                      ओज-व्यंग्य
                  मुंगेली - छत्तीसगढ़
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