Monday, September 30, 2019

आज का विचार

*👏🌹 सुबह की प्रार्थना🌹👏*
✍... *हे मेरे परमपिता परमेश्वर  !!!*

*आशीर्वाद की "वर्षा" करते रहो .*
*खाली "झोलियां" सबकी भरते रहो*
*तेरे "चरणों" में "सर" को झुका ही दिया है*
*गुनाहों को "माफ़" और "दुःखों" को दूर करते रहो* ll

      🌞 *सुप्रभात🙏🏻🙏🏻🎍🎍

आज का संदेश

*प्रसिद्ध होना, आसान है*
*पर, सिद्ध होना, बेहद कठिन !* *कभी-कभी बुरा वक़्त*
*आपको कुछ अच्छे*
*लोगों से मिलवाने के*
*लिये भी आता है..!!!*
*🙏🙏🙏🙏🙏 शुभ प्रभात🙏🙏🙏🙏🙏*

आज का सुविचार

*✏कुछ बोलने और तोड़ने में*
            *केवल एक पल लगता है*
          *जबकि बनाने और मनाने में*
            *पूरा जीवन लग जाता है।*
                       *प्रेम सदा*
          *माफ़ी माँगना पसंद करता है,*
                 *और अहंकार सदा*
          *माफ़ी सुनना पसंद करता है..*
🍃 *जो व्यक्ति किसी दूसरे के चेहरे पर हँसी और जीवन में ख़ुशी लाने की क्षमता रखता है..*🍃
*_ईश्वर उसके चेहरे से कभी हँसी और जीवन से ख़ुशी कम नहीं होने देता।_*
    🙏🏻  *Good Morning* 🙏🏻

               🍃🍃 **🍃🍃
             *Have a Nice Day*  🌷

आज का सुविचार

*कभी दूरी,*
*इतनी ना बढ़ाएँ कि......*

*खुले हों द्वार,*
*फिर भी खटखटाना पड़े.....*💫💕☘

आज का सुविचार

*रिश्तों के बाजार में*
*वही व्यक्ति हमेशा अकेला*
*रह जाता है.....*

*जो दिल और जुबान दोनो से*
*साफ होता है।।........*
*🙏सुप्रभात🙏*

आज का सुविचार

*जब दर्द और कड़वी बोली*
           *दोनों सहन होने लगे*
*तो समझ लेना की..*
                   *जीना आ गया ।।*
*प्रतिभा ईश्वर से मिलती है,*
*नतमस्तक रहें..!*
*ख्याति समाज से मिलती है,*
*आभारी रहें..!*
*लेकिन,,,*
*मनोवृत्ति और घमंड स्वयं से मिलते हैं,*
*सावधान रहें..!!*

*🌻🌺 सुप्रभात 🌺🌻*
       *आप का दिन शुभ हो*

आज का संदेश

🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁
*नजर  और  नसीब  का  कुछ*
         *ऐसा इत्तेफाक है कि....*   
   *नजर  को अक्सर  वही चीज*
         *पसन्द आती है.......*
  *जो  नसीब  में  नहीं  होती  है* 
         *और............*
   *नसीब    में     लिखी     चीज*   
         *अक्सर नजर नहीं आती....!*

🌹🌹🙏 *शुभ प्रभात*🙏🌹🌹

जब याद तेरी आती है


जब याद तेरी आती है
                         आंखों से छलक जाता है..(२)
कितना भी छुपाऊं इनको
                         पर प्यार झलक जाता है...(२)...(२)
तेरी ओ मीठी बँतियां (२)
                        अब  याद  मुझे  आती है...(२)
फिर से उनको सुनने को ...ये दिल तड़प जाता है...
                 जब याद तेरी आती है..........

हसीन सा तेरा चेहरा ...(२)
                        उन पर जुल्फों का पहरा....(.२)
वो कानों की जो बाली (२)
                        तेरी अधरोँ की ओ लाली....(२)
तेरे बालों का गजरा.. यादों में अटक जाता है.....
              जब याद तेरी आती है............……

वो दिन भी क्या दिन थे..(२)
                         जब हम दोनों मिलते थे...(२)
लगता था यूं कि जैसे .(२)
                       बगिया में फूल खिलथे थे..(२)
देख के जोड़ी अपनी.(२)
                       जहां के लोग यूं जलते थे..(२) 
मुझसे बिछड़कर अब ..क्या ओ चहक आता है.....
                   जब याद तेरी आती है......

तेरा मचल के चलना.(२)
                          संग में ओ आहें भरना..(२)
हिरनी सी चाल तेरी..(२)
                          उसपर तानें मेरे कसना..(२)
थी अपनी ही सरकार..(२)
                         फिर था ही किससे डरना..(२)
क्या ऐसे ही बिन बात, बोलो कोई बहक जाता है....
                     जब याद तेरी आती है.......

तेरी ओ अंतिम बातें.(२)
                           पिया संग में सदा रहेंगे..(२)
तेरी मधुर ओ वादें.(२)
                           अब संग ही जिएं मरेंगे.(२)
दूर चले गए जो तुम हो.(२)
                          अब हम कैसे प्रीत गढ़ेंगे..(२)
बिन मेरे फिर कैसे अब..वो दिल धड़क जाता है..
                जब याद तेरी आती है…………

जब याद तेरी आती है
                         आंखों से छलक जाता है..(२)
कितना भी छुपाऊं इनको
                         पर प्यार झलक जाता है...(२)...(२)
तेरी ओ मीठी बँतियां (२)
                        अब   याद मुझे  आती है...(२)
फिर से उनको सुनने को ...ये दिल तड़प जाता है...

               ©सर्वाधिकार सुरक्षित®

             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
              व्यंग्य, लेखक, गीतकार
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Sunday, September 29, 2019

आज का संदेश

अभिमान तब आता है*
*जब हमे लगता है हमने कुछ काम किया है,*
                     *और*
*सम्मान तब मिलता है जब दुनिया को लगता है, कि आप ने कुछ महत्वपूर्ण काम किया है*
          *जो दूसरों को इज़्ज़त देता है*
    *असल में वो खुद इज़्ज़तदार होता है*
                     *क्योकि*
      *इंसान दूसरो को वही दे पाता है*
          *जो उसके पास होता है।*

Saturday, September 28, 2019

आज का संदेश

*कठोर परिश्रम या कड़ी मेहनत मनुष्य का असली धन होता है। बिना कठिन परिश्रम के सफलता पाना असंभव है। इस दुनिया में जो व्यक्ति कठिन परिश्रम करता है सफलता उसी का कदम चूमती है। कड़ी मेहनत करने वाले लोग मिट्टी को भी सोना बना देते हैं।*

मानष और वर्तमान समाज

मनुस्मृति : *मानस और वर्तमान समाज*

आज अनेकों जगह बलात्कार कि घटनाएं व्यभिचार और दरिंदगी कि समाचार हर जगह चल रहे हैं, कुछ होने के बाद कथित मॉर्डन लोग और बड़े बड़े पत्रकार मुँह उठा के चिंता व्यक्त करते हैं कुछ महिला संगठन बबाल करने के लिए रोड पर उतर जाती हैं लोग कैंडल मार्च करते हैं फिर कुछ समय के बाद सब भुल जाते हैं; पर्याप्त मात्रा में क़ानून भी है पर क्या ये सारी घटनाएं खत्म हो गयीं नहीं क्या कारण है क्यों हो रहा है किसी को कुछ पता नहीं और नौटंकी जरूर करना है।

स्कूलों से विश्वविद्यालय पर्यंत चरित्र निर्माण बालक बालिकाओं का कैसे करना है नहीं पता शिक्षा के नाम पर कुछ भी सिखा दो क्या फ़र्क पड़ता है; बस अपना धंधा चलते रहे लोगों को भोगी बनाना ही एक मात्र उद्देश्य है संस्थानों का।

जैसा आम आदि वृक्षों और भिन्न भिन्न लताओं के निमित्त किसान उसके साथ एक डंडा लगता है ताकि वह इधर उधर न जा सके एक निश्चित दिशा में बढ़े ऐसा नहीं करने पर क्या कुछ इधर कुछ उधर भाग जाते हैं, ठीक इसी प्रकार बालक और बालिकाओं का विकास एक निश्चित दिशा में हो इसके निमित्त # *संस्कार रुपी डंडा लगना चाहिए पर यह कार्य न तो माता पिता कर रहे ना शिक्षा के केंद्र।*

भगवान मनु कहते हैं:―
न हीदृशमनायुष्यं लोके किञ्चन विद्यते।
यादृशं पुरुषस्येह परदारोपसेवनम्॥4.134॥

इस लोक में पुरुषों के लिये दूसरे की माँ बहन बेटियों पर वासनात्मक नजर ऱखना और दुसरे की पत्नि के प्रति इससे बड़ा पापा इस लोक में कुछ नहीं।

और मानस कर कहते है:–
पति वंचक पर पति रति करई।
रौरव नरक कलप सत परई॥

जो अपने पति को धोखा देकर पर पुरुष के साथ सम्बन्ध बनाती है वह स्त्री सौ कल्पो तक रौरव नरक में वास करती है या अपने पति के अतिरिक्त किसी और के निमित्त सोंचती भी है तो नरक ही मिलता है।

इन सब बातों को स्कुलों में एवं सरकारी कार्यालय में नहीं तो लिखवाएंगे ना हीं बालकों को बताएंगे, बस बालकों में यह विष  घोलना है कि ब्राह्मणों ने शोषण किया मनुस्मृति समाज के लिए कलंक है मानस में औरतों का अपमान किया है शूद्रों का अपमान किया है; अम्बेडकर और उनके तथाकथित चेले कभी मनुस्मृति जलाएंगे कभी मानस को गालियाँ देंगे ताकि इनका बलात्कार और व्यभिचार को समर्थन करने और बढ़ावा देने वाली शिक्षा और संविधान बचा रहे और लोगों के मन में मनु और मानस के प्रति धृणा ज्यादा से ज्यादा बढ़े; आज के कथा करों को न तो इन विषयों का प्रचार करना है न कुछ कार्य करना है बस मुजरा और कौव्वाली करना है।

*धरम रहे चाहे जाए पैसा कैसे भी आये*

।। श्री राम जय राम जय जय राम ।।
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

आज का संदेश

आज का संदेश:-

हर कोई अपने मतलब की बात करता है,,

नहीं सोचता कि दिल सामने वाले का भी दुखता है,,,,,

इतना भी मतलबी मत बनो कि सामने वाले का दिल इतना दुःख जाए कि आप उनके नजरों में गिर जाएं...
आपका दिन मंगलमय हो 💐💐💐
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
शुभ प्रभात मित्रों 💐🚩🙏🚩🌸🚩🇮🇳🇮🇳💐🚩🙏🙏🙏🚩🌸

विज्ञान व ईश्वर की संरचना

विज्ञान चाहे कितनी भी तरक्की कर ले पर ईश्वर के सामने फेल है, ईश्वर द्वारा प्रकृति की संरचना ही सर्वश्रेष्ठ संरचना हैं, हमें ईश्वर ने जो जिस रूप में दिया वहीं हमारे लिए सर्वोत्तम है; हम भोग-विलास, दिखावे और लालसा में भले ही प्राकृतिक चीजों से दूर चले गए पर आज मानव निर्मित चीजों के दुष्प्रभावों, दुष्परिणामों के कारण मनुष्य को वापिस प्राकृतिक चीजों की तरफ लौटना पड़ा रहा है क्योंकि वहीं सर्वश्रेष्ठ है *..*..

*जानिए इस विषय में कुछ उदाहरण*

1- पहले मनुष्य मिट्टी के बर्तन प्रयोग करता था, फिर वहां से भिन्न भिन्न धातुओं और स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक पहुँच गया है पर इनके प्रयोग से कैंसर होने का खतरा हो गया है इसलिए मनुष्य दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ रहा है।

2- पहले इंसान अंगूठा छाप था क्यों कि उसे पढ़ना लिखना नहीं आता था, बाद में जब पढ़ना लिखना आया तो दस्तखत (Signature) करने का प्रचलन चला; आज विज्ञान जहां चरम सीमा पर पहुँच चुका है तो इंसान फिर से Thumb Scanning की तकनीकी के कारण अंगूठा छाप बन गया है।

3- पहले मनुष्य फटे हुए सादे कपड़े पहनता था, फिर साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़े पहनने लगा फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ने लगा; सूती वस्त्रों से टैरीलीन, टैरीकॉट पर पहुँचा इंसान फिर से वापस सूती वस्त्रों पर आ रहा है।

4- मनुष्य पहले पढ़ता ही नहीं था, जब ज्ञान हुआ तो गुरुकुलों में नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान ही लिया अब विज्ञान चरमसीमा पर है; लोग MBBS, Engineering, MBA, की पढ़ाई कर रहे हैं पर नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान और शांति नहीं है; आत्महत्या जैसा घोर पाप बढ़ कर रहे हैं, अपराध बढ़ गया है समय वो आ गया है कि नैतिक और आध्यात्मिक ज्ञान भौतिक ज्ञान से जरूरी हो गया है।

5- खेती में पहले मनुष्य प्राकृतिक खाद प्रयोग करता था बाद में यूरिया, कीटनाशक दवाओं का प्रयोग करने लगा; इनके दुष्प्रभावों के कारण मनुष्य अब वापिस आर्गेनिक खेती की तरफ बढ़ रहा है।

6- पहले मनुष्य कुदरती फल, खाद्य पदार्थ ही खाता था उस क़ुदरती भोजन से मनुष्य प्रोसेसफ़ूड (Canned Food & packed juices) की तरफ बढ़ा। इससे तरह तरह की बीमारियां होने लगी अब इन बीमारियों से बचने के लिए मनुष्य दोबारा क़ुदरती भोजन की तरफ आ रहा है।

7- पहले मनुष्य सादी वस्तुएं प्रयोग करता था फिर पुरानी और सादा चीज़ें इस्तेमाल ना करके ब्रांडेड (Branded) चीजें प्रयोग करने लगा; नई चीजों से जी भर गया तो पुरानी चीजें ही Antique Piece  कहकर रखने लगा।

8- पहले मनुष्य आयुर्वेदिक पद्दति से ईलाज करता था फिर एलोपैथी का प्रचलन हुआ, एंटीबायोटिक का जमाना आया, एलोपैथी और एंटीबायोटिक के दुष्प्रभावों के कारण मनुष्य वापिस आयुर्वेद की तरफ बढ़ रहा है।

9- पहले बच्चे मिट्टी खाते थे जैसे जैसे सभ्यता का विकास हुआ, मनुष्य बच्चों को इंफेक्शन से डर से मिट्टी में खेलने से रोकने लगा; बच्चों को घर में बंद करके फिसड्डी बना दिया उसी मनुष्य ने अब Immunity बढ़ाने के नाम पर बच्चों को फिर से मिट्टी में खिलाना शुरू कर दिया है।

10- पहले मनुष्य जंगल में रहा, गावों में रहा फिर विकास की दौड़ में शहर की तरफ भागा; वहां पर्यावरण को प्रदूषित किया और अब वापिस साफ हवा और स्वास्थ्य लाभ के लिए जंगल, गांव और हिल-स्टेशनों की तरफ जा रहा है।

11- जंगल, गांव और गौशालाओं में रहने वाला मनुष्य चकाचौंध से प्रभावित होकर शहर भागा, डिस्को पब भागा अब मनुष्य दोबारा मन की शांति के लिए शहर से जँगल, गाँव व गौशालाओं की ओर आ रहा है।

12- भारतीय (हिंदू) संस्कृति महान थी उसने अनुसार जीवन जीने से व्यक्ति स्वस्थ्य, सुखी एवं सम्मानित जीवन जीता था लेकिन टीवी, फिल्में और मीडिया के दुष्प्रभाव के कारण पाश्चात्य संस्कृति में चला गया लेकिन वहाँ दुःख, चिंता, बीमारियां बढ़ने लगी तो भारतीय संस्कृति की तरफ लौटना शुरू कर दिया।

*इससे ये निष्कर्ष निकलता है कि तकनीकी ने हमें जो दिया, उससे बेहतर तो भगवान ने हमें पहले ही दे रखा था; वास्तव में विज्ञान की बजाय ईश्वर की संरचना ही हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ है, इससे सिद्ध होता है कि हमारे लिए ईश्वर से बड़ा कोई हितैषी नहीं है ..*!!
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                          प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Friday, September 27, 2019

आज का सुविचार


*आज का सुविचार*

*अपना बनाओं तो*, उसी को बनाओं जो सदा से अपना है *.*. सखा बनाओं तो उसी को बनाओं जो जन्मों-जन्मों से हमारा सखा है *.*. जिसने कभी हमारा साथ नहीं छोड़ा, उस ईश्वर को अपना बनाओ *..*..

जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल पाओगे *.*. कोई भी कर्म छोटा मत समझो, छोटी-सी भूल भी पहाड़ की तरह समझनी चाहिए *.*. इसलिए मन को बार-बार समझाओ कि *..*..

*हे मन!* यह क्या कर रहा है? तृष्णारूपी जल में गोते खा रहा है? *अमूल्य मनुष्य जन्म को भोगों में बरबाद कर रहा है⁉⁉⁉*
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

Thursday, September 26, 2019

मैं एक सनातनी हूँ सनातन मेरा धर्म सनातनी मेरी राष्ट्रीयता

*मैं एक सनातनी हूँ .*. *सनातन मेरा धर्म .*. *सनातनी मेरी राष्ट्रीयता ..*!!

मेरा राष्ट्रीय ध्वज है क्षत्रि, ब्रह्म, शुद्र एवं वैश्य तेज युक्त वह *भगवा ध्वज* जिसे कभी सम्राट विक्रमादित्य ने हिन्दुकुश से लेकर अरब भूमि पर लहराया था *..*..

*मैं धर्म रक्षक हूँ*

*मेरी राष्ट्रीयता मेरे धर्म* से जुड़ी है क्योंकि राष्ट्र तो बनते है बिगड़ते है *.*. *अखंड होते है*, खंडित होते है पर मूल राष्ट्रीयता तो वह संस्कृति है जो इस महान अपराजेय व कालजयी सनातन धर्म से मिली है *..*..

*मेरे आदर्श मेरे नायक तो सनातन धर्म पताका को विश्व में फहराने वाले* मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, योगेश्वर श्री कृष्ण, महाऋषि गौतम, चरक, पाणिनि, जैमिनी, कणाद, चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य, आदि गुरु शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट, आचार्य चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य, पुष्यमित्र शुंग, शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्द सिंह, स्वामी दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद *जैसे महापुरुष व युगपुरोधा है ..*!!

*इस धर्म के सिद्धांतों आदर्शों ने ही इस मातृभूमि को संस्कृति के सर्वोच्च सिंहासन पर बिठाया था ..*..

*यदि ये धर्म ना हो तो राष्ट्रीयता का कैसा बोध⁉⁉⁉*

*धर्म नहीं रहेगा तो मैं भी इस राष्ट्र को मातृभूमि न मान कर साधारण भूमि मानूँगा .*. *अतः मेरे लिए मेरा धर्म ही सर्वोच्च है ..*!!

धर्म रहा तो इस पृथ्वी पर कही न कही राष्ट्र बन जाएगा *.*. नाम भी भारत वर्ष या आर्यावर्त रख लेंगे *.*. *पर धर्म न बचा तो राष्ट्र का अस्तित्व भी संकट में पड़ जाएगा ..*!!

*इसलिए हमारे पूर्वजों ने धर्म को आधार बना कर इस राष्ट्र का निर्माण किया ..*..

जो कभी जम्बूद्वीप एशिया में फैला था *.*. धर्म की सीमाएं सिमटी तो राष्ट्र भी *आर्यावर्त* (ईरान से इंडोनेशिया व मॉरीशस से मास्को) तक सिमट गया *..*..

*धर्म और संकुचित हुआ तो आज का भारत रह गया .*. *सनातन धर्म सिमटता गया और राष्ट्र भी खंड खंड में खण्डित होता गया ..*..

जो पाकिस्तान व बांग्लादेश कभी हमारा भाग था वह आज खंडित हो गया क्योंकि वहाँ से धर्म लुप्त हुआ और राष्ट्रीयता का बोध समाप्त हो गया *..*..

*वर्तमान के राजनेताओं ने धर्म के स्थान पर राष्ट्र को प्रमुखता दी ..*..

धर्मविहीन राष्ट्र कैसा होता है⁉⁉⁉

*ये आज के राष्ट्र को देखकर जान सकते हैं ..*..

पहले न कोई निर्धन था *..*..

यदि था तो मन में संतोष था *..*..

धनी व्यक्ति दयालू तथा दानी प्रवृत्ति के थे *.*. मन में न लोभ मोह था न ईर्ष्या एवं धर्म के प्रसार के कारण राष्ट्रीयता का भी बोध था *..*..

इतनी निष्ठा उस समय चोरों में भी होती थी *.*. आज वह निष्ठा समाज के रक्षकों से भी लुप्त हो गई क्योंकि धर्म नहीं रहा *..*..

*आज अधर्म फैला हुआ है इसलिए समाज में भी असंतोष भय निराशा का बोध है ..*..

राष्ट्रीयता लुप्त है या किसी विशेष अवसर पर ही राष्ट्रभक्ति का बोध होता है *..*..

*ऐसे में यदि खंड खंड हो चुके राष्ट्र को बचाना है तो माध्यम धर्म को बनाना होगा ..*..

*जब धर्म व संस्कृति बचेगी तो ही ये राष्ट्र भी बचेगा ..*..

*अतः धर्म सर्वोपरि है ..*..

*सनातन संस्कृति ही* राष्ट्र का उद्धार करने की क्षमता रखती है *..*..

*धर्म की जय हो*

अधर्म का नाश हो

*प्राणियों में सद्भावना हो*

विश्व का कल्याण हो

*हर हर महादेव .*. *जय श्री राम🚩*
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

                        प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

Wednesday, September 25, 2019

आज का सुविचार

*अपनी इच्छित वस्तुओं में से*
*कुछ क़े बिना रहना भी*
*सुख का अनिवार्य हिस्सा है .....*
🚩🙏🏻 *जय_सियाराम_शुप्रभातम*🙏🚩

Tuesday, September 24, 2019

आज का संदेश

🎋 *मंज़र धुंधला हो सकता है,*
*मंज़िल नहीं..!*

*दौर बुरा हो सकता है,*
*ज़िंदगी नहीं..*🎋
*छल में बेशक बल है*
                  *लेकिन*
  *प्रेम में आज भी हल है..*
🍃🌹 *सुप्रभात* 🌹🍃

Monday, September 23, 2019

सत्य विचार

*सम्पूर्ण जीवन संघर्ष की मांग  करता है जिन्हें सबकुछ बैठे बैठे मिल जाता है वो आलसी, स्वार्थी और जीवन के वास्तविक मूल्यों के प्रति असंवेदनशील हो जाते हैं*
🕉🐚⚔🚩🌞🇮🇳⚔🌷🙏🏻

आज का एक और संदेश

*💧🍀☘🍀☘🙏🏻☘🍀☘🍀💧*
*किसी का सरल स्वभाव उसकी कमज़ोरी नहीं होता है*
*संसार में पानी से सरल कुछ भी नहीं है, किन्तु उसका बहाव बड़ी से बड़ी चट्टान के भी टुकड़े कर देता है ..!!!*
*🌹🌹शुभ प्रभात🌹🌹*
*💧🍀☘🍀☘🙏🏻☘🍀☘🍀💧*

आज का संदेश

📿 *प्रातः विचार* 📿

           *किसी को गलत,*
     *समझने से पहले एक बार,*
     *उसके हालात समझने की,*
         *कोशिश जरूर करें...*
        *हम सही हो सकते हैं...*
           *लेकिन मात्र हमारे*
               *सही होने से ,*
           *सामने वाला गलत*
           *नहीं हो सकता..ॐ.!!!*

           🎗 *शुभ प्रभात*🎗

आज का सुविचार


🙏🙏
*सभी को सुख*
*देने की क्षमता,*
*भले ही आप के हाथ में न हो...!*
*किन्तु किसी को*
*दुख न पहुँचे,*
*यह तो आप के हाथ में ही है..*!!*

*हमेशा दूसरों का साथ दे,*
*पता नहीं ये पुण्य*
*ज़िंदगी में कब आपका साथ दे जाए.*

       *🌹सुप्रभात🌹*

Sunday, September 22, 2019

आज का सुविचार

*मन को समझने वाली ‘माँ ‘और भविष्य पहचानने वाला ‘पिता’*

*यही दोनों इस दुनिया के एकमात्र ज्योतिषी है*
 
🙏🙏  शुभप्रभात🙏🙏                
🚩🙏जय जय श्री राम🙏🚩

22 सितंबर जन्म तिथि, देबव्रत सिंह

22 सितम्बर/ *जन्म-दिवस*

मधुर वाणी के धनी *देबव्रत सिंह*

*देबू दा* के नाम से प्रसिद्ध श्री देबव्रत सिंह का जन्म 22 सितम्बर, 1929 को बंगाल के दीनाजपुर में हुआ था, आजकल यह क्षेत्र बांग्लादेश में है; मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर में उनका पैतृक निवास था। श्री भवानी चरण सिंह उनके पिता तथा श्रीमती वीणापाणि देवी उनकी माता थीं, चार भाई और तीन बहिनों वाले परिवार में देबू दा सबसे बड़े थे; उनकी शिक्षा अपने पैतृक गांव बहरामपुर में ही हुई, पढ़ने में वे बहुत अच्छे थे मैट्रिक की परीक्षा में अच्छे अंक लाने के कारण उन्हें छात्रवृत्ति भी मिली थी।

बंगाल में श्री शारदा मठ का व्यापक प्रभाव है, यह परिवार भी परम्परागत रूप से उससे जुड़ा था, अतः घर में सदा अध्यात्म का वातावरण बना रहता था। उनकी तीनों बहिनें मठ की शरणागत होकर संन्यासी बनीं, देबू दा भी वहां से दीक्षित थे, यद्यपि वे और उनके छोटे भाई सत्यव्रत सिंह प्रचारक बने।

*देबू दा* छात्र जीवन में ही स्वयंसेवक बन गये थे, बाल और शिशुओं को खेल खिलाने में उन्हें बहुत आनंद आता था, उनका यह स्वभाव जीवन भर बना रहा। अतः लोग उन्हें *छेले धोरा* (बच्चों को घेरने वाला) कहते थे; संघ पर प्रतिबंध के विरोध में 1949 में सत्याग्रह कर वे जेल गये।

इसके बाद उन्होंने कुछ समय सरकारी नौकरी की, शिक्षानुरागी होने के कारण इसी दौरान उन्होंने होम्योपैथी की पढ़ाई करते हुए डी.एम.एस. की उपाधि भी प्राप्त कर ली। उन दिनों शाखा में एक गीत गाया जाता था, जो देबू दा को बहुत प्रिय था *.*. इसमें *देशसेवा के पथिकों को सावधान किया जाता था कि इस मार्ग पर स्वप्न में भी सुख नहीं है, यहां तो केवल दुख ही दुख है, अपने पास यदि  धन-दौलत है, तो उसे भी देश के लिए ही अर्पण करना है;* इस गीत से प्रभावित होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और प्रचारक बन गये।

सर्वप्रथम उन्हें आसनसोल जिले में भेजा गया, क्रमशः उनका कार्यक्षेत्र बढ़ता गया और वे उत्तर बंगाल के संभाग प्रचारक बने, देबू दा से भेंट और उनकी प्यार भरी मधुर वाणी से प्रचारक और विस्तारकों की आधी समस्याएं स्वतः हल हो जाती थीं; आपातकाल में वे पुलिस की निगाह में आ गये और जेल भेज दिये गये, वे बहुत कम खाते और कम ही बोलते थे; बंगाल में *विद्या भारती* का काम प्रारम्भ करने तथा कई नये विद्यालय खोलने का श्रेय उन्हें ही है।

1992 में भारत सरकार ने *तीन बीघा क्षेत्र* बंगलादेश को देने का निर्णय किया, बंगाल की जनता इसके घोर विरुद्ध थी; अतः भारतीय जनता पार्टी, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसी कई देशभक्त संस्थाओं ने *सीमांत शांति सुरक्षा समिति* बनाकर देबू दा के नेतृत्व में इसके विरुद्ध भारी जनांदोलन किया; 25 जून, 1992 को आडवानी जी भी इस आंदोलन में शामिल हुए। इस आंदोलन में देबू दा की समन्वयकारी प्रतिभा तथा नेतृत्व की क्षमता प्रगट हुई, वे इसमें गिरफ्तार भी हुए थे; 1993 में उन्हें बंगाल में भारतीय जनता पार्टी का संगठन मंत्री बनाया गया, इस दायित्व पर वे 2003 तक रहे।

गुणग्राही *देबू दा* कला, साहित्य और संस्कृति के प्रेमी थे। वे *अवसर* नामक पत्रिका के संचालक सदस्य थे, व्यस्तता के बीच भी वे प्रतिदिन ध्यान एवं पूजा अवश्य करते थे। वृद्धावस्था में वे सिलीगुड़ी के संघ कार्यालय (माधव भवन) में रहते थे, 13 अप्रेल को मस्तिष्काघात के बाद उन्हें चिकित्सालय ले जाया गया, जहां 26 अप्रेल, 2013 को उनका देहांत हुआ।

*देबू दा* ने काफी समय तक बंगाल के प्रांत प्रचारक श्री वसंतराव भट्ट के निर्देशन में काम किया था, यह भी एक संयोग है कि उसी दिन प्रातः कोलकाता के संघ कार्यालय पर वसंतराव ने भी अंतिम सांस ली थी।

(संदर्भ : स्वस्तिका 6.5.13 तथा 27.5.13)
                         प्रस्तुति
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
          प्रदेश संगठन मंत्री एवं प्रवक्ता
   अंतरराष्ट्रीय युवा हिंदू वाहिनी छत्तीसगढ़
      ८१२००३२८३४-/-७८२८६५७०५७

न्यू २

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