Thursday, April 23, 2020

धार नहीं संगम हो जाते

धार    नहीं    संगम  हो  जाते 
चोट   नहीं   मरहम  हो  जाते 

बन सकती थी अपनी कहानी 
तुम  जो मेरे हमदम  हो  जाते 

 जान   खुशी   से  दे  देता  मैं 
तुम जो  गर  जानम  हो जाते 

हाँथ   पकड़    लेते  जो  मेरा
तो   काँटे  कुछ  कम हो जाते 

तेरे    एक   तबस्सुम   से   ही 
चूर   मेरे   सब  गम  हो  जाते

तुम   हमको  अपना   लेते तो
दूर    दुखों  से  हम  हो  जाते

                   
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

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