इनायत है आपने हमें दिल में जगह दी है!
जिंदगी को नई सूरत जीने का वजह दी है।
गुजरने दे लम्हें दीया चाह का जलाये फिर!
उल्फत से वास्ता जोड़े वफ़ा ने गिरह दी है।
शबोरात यूँ ढलती जाये रहे न फासला कोई!
मुहब्बत का चाहत फिर नई सी सुबह दी है।
धड़कता था  अक्सर  दिल गम ए जुदाई में!
मिलते ही मिला जीवन खुशी इस तरह दी है।
सजायें आ आशियां हम मन मनसे मिलाये यूँ!
दर्मियां हों एकदूजे के सदा रब ने पनाह दी है।
इनायत है आपने हमें दिल में जगह दी है!
जिंदगी को नई सूरत जीने का वजह दी है।
             "पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057
 
 
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