छन्द(1)
सुना और पढ़ा होगाआप सभीलोगों ने ही
महाराणा संघ उस चेतक कहानी को।
जन्में मेवाड़ में वे ,राजा थे मेवाड़ के ही,
देश हित अर्पित , किया जिंदगानी को।
मान और शक्ति जैसे कई थे गद्दार वहां,
फिर भी ना डरे राणा अकबर सानी को।
कांपते थे शत्रु भाला देखकर जिसका ही।
श्रद्धा सुमन अर्पित उसी बलिदानी को।।
छन्द(2)
धन्य थे पुरोहित मेवाड़ की सुरक्षा हित,
खुद को कटार मार दे दी कुर्बानी थी।
धन्यमंत्री भामाशाह दान किया निज धन,
राणा ने प्रारंभ की , नई जिंदगानी थी।
धनवीर झाला और धन्य थे हकीम खान,
लड़कर युद्ध में मिटाई जो निशानी थी।
56 किलो को जीत लेना था चित्तौड़ अभी
स्वर्ग को सीधारे राणा इतनी कहानी थी।।
छन्द(3)
जैसे चांद तारे सूर्य जगमग ब्योम में हों,
ऐसा ही हो जगमग नाम तेरा जग में।
शौर्य शक्ति शाहस का पर्याय कहा जाता,
अद्भुत अनुपम कार्य किये जग में।
राजपूत खानदान की हो तुम आन बान,
भारतीयता की पहचान बने जग में ।
आओ फिर एक बार मात्र भू के कर्णधार,
मातृभूमि की सेवा हेतु काम आए जग में।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज-व्यंग्य कवि
राष्ट्रीय प्रवक्ता
राष्ट्र भाषा प्रचार मंच-भारत
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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