इतना भी न दिलको मजबूर किया जाय!
कहना है वफ़ा का दस्तूर किया जाय।
गलती है हमारा के आपकी फितरत!
पहले तो खामियां अभी दूर किया जाय।
आपकी यूँ अदाएं मेरे मनको झिझोरे!
सोंचता हूं सदा कैसे मंजूर किया जाय।
चाहत की डोर खींचते जुड़ते रास्ते!
हमराह यूँ चलें मशहूर किया जाय।
दिलसे हो दिल मिलता कसमे इरादे!
सफर को तय मिलके जरूर किया जाय।
इतना भी न दिलको मजबूर किया जाय!
कहना है वफ़ा का दस्तूर किया जाय।
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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