चाँद जैसा सँवर गया कोई
बन के खुशबू बिखर गया कोई
उसको देखा तो यह लगा मुझको
जैसे दिल में उतर गया कोई
तेरी तारीफ़ करता निकला है
शख़्स जो तेरे घर गया कोई
तेरे पहलू मे यूँ लगा हमदम
बिजलियां तन में भर गया कोई
रुख़सती पर लगा तुम्हारी यह
जान ले के मुकर गया कोई
जान मुड़ कर के देख तो लेती
तुझपे मर कर के मर गया कोई
क्रिश खोली हैं उसने जुल्फें क्या
जैसे तूफां गुज़र गया कोई
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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