Thursday, May 7, 2020

चाँद जैसा सँवर गया कोई


चाँद    जैसा    सँवर   गया   कोई
बन  के  खुशबू  बिखर  गया कोई

उसको  देखा तो यह लगा मुझको
जैसे  दिल  में   उतर   गया  कोई

तेरी  तारीफ़   करता  निकला   है
 शख़्स जो  तेरे    घर  गया  कोई

तेरे   पहलू   मे   यूँ  लगा  हमदम
बिजलियां  तन में भर  गया कोई

रुख़सती  पर   लगा  तुम्हारी  यह
जान   ले  के   मुकर   गया  कोई 

जान  मुड़ कर  के  देख तो  लेती
तुझपे  मर कर  के मर  गया कोई

क्रिश खोली हैं उसने जुल्फें  क्या 
जैसे   तूफां   गुज़र    गया  कोई

         ©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
            धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
             डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
       8120032834/7828657057

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