जब याद वो पगली आती है
दिल में तूफान उठाती है
आँखें भी बरसने लगती हैं
रग रग में उदासी छाती है
उसके पागलपनकी ये अदा
मेरे दिल को भरमाती है
उसकी भोली सूरत दिल पर
बिजली सी रोज़ गिराती है
मुद्दत से मिलते आये हैं
लेकिन अब तक शरमाती है
वो भी करती है याद मुझे
मेरी हिचकी बतलाती है
©"पं.खेमेश्वर पुरी गोस्वामी"®
धार्मिक प्रवक्ता-ओज कवि
डिंडोरी-मुंगेली-छत्तीसगढ़
8120032834/7828657057
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